SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८४ ] श्री तत्त्वार्थाधिगमसूत्रे [ ५।४३ धर्मास्तिकाय के असंख्य प्रदेशवत्व, लोकाकाशव्यापित्व, गति अपेक्षाकारणत्व, तथा अगुरुलघुत्व इत्यादि । धर्मास्तिकाय के असंख्य प्रदेशवत्व, लोकाकाशव्यापित्व, स्थिति अपेक्षाकाररणत्व, तथा अगुरुलघुत्व इत्यादि । आकाश के अनन्तप्रदेशवत्व तथा अवगाह देना इत्यादि । जीव के जीवत्व इत्यादि । तथा काल के वर्तनादि परिणाम अनादि हैं । जगत् इन परिणामों से कोई अमुक-काल उत्पन्न हुआ ऐसा नहीं होता है । किन्तु जबसे में द्रव्य हैं तब से ही है । उसका निष्कर्ष यह आया है कि - विश्व अनादि है, तो द्रव्य अनादि हैं। इसलिए उसके परिणाम भी अनादि हैं ।। ५-४२ ।। * श्रादिमान - परिणामम् 5 मूलसूत्रम् - रूपिण्वादिमान् ॥ ५-४३ ॥ * सुबोधिका टीका येषु रूप-रस- गन्ध-स्पर्शादि प्राप्यन्ते ते रूपीति । रूपिषु तु द्रव्येषु श्रादिमान् परिणामोऽनेकविधः स्पर्शपरिणामादिरिति । स्पर्शस्याष्टभेदाः, रसस्य पञ्चभेदाः, द्वौ भेद गन्धस्य, पञ्चविधः वर्णश्चेति वर्णितं पूर्वमेव ।। ५-४३ ।। * सूत्रार्थ - रूपी पदार्थों के परिणाम प्रादिमान हुआ करते हैं । रूपी धर्म, अधर्म, आकाश, जीव और काल के परिणाम अनादि हैं । अर्थात्-रूपी द्रव्य श्रादिमान परिणाम वाले होते हैं ।। ५-४३ ।। 5 विवेचनामृत 5 रूपी द्रव्यों में प्रादिमान परिणाम होते हैं । पुद्गल रूपी द्रव्य है । उसमें रहे हुए श्वेत रूप आदि परिणाम आदिमान हैं। क्योंकि, उसमें प्रतिक्षणरूप आदि का परिवर्तन होता है । विवक्षित समय में हुए परिणाम पूर्व समय में नहीं होने से आदिमान हैं । प्रवाह की अपेक्षा तोरूपी द्रव्यों में भी अनादि परिणाम हैं । रूपी द्रव्यों में श्रादिमान परिणाम का कथन व्यक्ति की अपेक्षा है । रूपी पुद्गल द्रव्य प्रादिमान ( सादि) परिणाम वाले होते हैं । उनके अनेक भेद हैं। जैसे - स्पर्शपरिणाम, रसपरिणाम, गन्धपरिणाम इत्यादि ।
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy