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श्री तत्त्वार्थसूत्र जैनाऽऽगमसमन्वय विषयानुक्रमणिका
की
विषय
प्रथम अध्याय
मोक्ष मार्ग का वर्णन
सम्यग्दर्शन
तीन जन्म
पांच शरीर
सात तत्व
उनको जानने के साधन पांचों ज्ञान का वर्णन
तीन अज्ञान
सात नय
द्वितीय अध्याय
जीव के पांच भाव
नीव का लक्षण जीवों के भेद
इन्द्रियाँ
पांचों इन्द्रियाँ और उनके विषय षट्काय जीव
विग्रहगति
जीवों के वेद परिपूर्ण आयु वाले जीब
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सूत्र संख्या
१-३३
१
२-३
४
५-८
९-३०
३१-३२
३३
१-५३
१–७
८- ९
१०- १४
१५ – १८
१६-२१
२२–२४
२५–३०
३१–३५
३६-४३
५०-५२
५३
पृष्ठ ० जैना ऽऽगमसमन्वय
१
१
५
६
९
२६
२७
२८
२८
४१
४३
४५
४७
४८
४३
५३
५५
६४
દ્રુપ
पृष्ठ भाषा सूत्र
२४४
19
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३४५
२४७
99
39
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२४८
29
२४६
33
"2
२५०
39
२५१
२५२
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