SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४३) विगैर मार डालना, ऐसे मारनेके उपदेश करनेवाले व्यासजीको क्या कहना चाहिये ? सो फैसला बुद्धिमान् स्वयं कर लेंगे. शिवपुराण ज्ञानसंहिता अध्याय ६९ वे में लिखा है कि-श्रीकृष्णने शिवजीका आराधन करके उनको प्रसन्न किया तथा प्रार्थना करी कि हे शंकर ! इस समय आपकी कृपासे मेरे पास सब कुछ है परंतु दैत्योंसे पीडित होकर मै आपकी शरणमें आया हूँ इत्यादि वर्णन है. वांचो नीचेके श्लोक-- " आसनैर्विविधैर्ध्यानः, प्रसन्नः शङ्करस्तदा । उवाच कृष्णं तत्रैव, वियतां वरमुत्तमम् ॥ १७ ॥ ततः प्रसन्नमनसा, वासुदेवो ह्युवाचह । साम्प्रतं सकलं मेऽद्य, प्रभावात्तव शङ्कर ! ॥ १८ ॥ दैत्यैश्च पीडितश्चाह; त्वामहं शरणं गतः ! पूर्वैश्च सेवितः शम्भु-ब्रह्मणा सेव्यतेऽधुना ॥ १९ ॥" इत्यादि बहुत बयान है. शिवपुराण ज्ञानसंहिता अध्याय ७० वें में विष्णुने शिवजीका आराधन कर के पीडा देनेवाले दैत्योंको मारनेके वास्ते शिवजीसे सुदर्शनचक्र लिया, ऐसा लिखा है. विष्णुने अनेक प्रकारसे शिवजोका पूजन किया, परंतु शिवजी प्रसन्न नहीं हुए तब विष्णुसहस्र नामसे स्तुति करता हुआ एक एक नामसे कमल चडाने लगे, उस समय शिवजीने उनकी परीक्षाके लिये जो किया सो सुनिये-उन सहस्त्र कम
SR No.022530
Book TitleMat Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages236
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy