SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 343 परिग्रह- परिमाणव्रत की प्रासंगिकता पर्यावरण प्रदूषण की समस्या प्राकृतिक सम्पदा के शोषण और उसके रासायनिक परिवर्तन की प्रक्रिया से जुड़ी हुई है । मानव सुख-सुविधा के जितने साधन जुटाता है वह उतना ही प्रदूषण फैलाता है । परिग्रह व्रत को यदि व्यापक स्तर पर स्वीकार कर लिया जाए तो पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर एक सीमा तक नियन्त्रण हो सकता है। इस प्रकार परिग्रह - परिमाण जहाँ आत्मिक शान्ति, सौहार्द एवं भावात्मक समृद्धि का हेतु है, वहाँ वह समाज, राष्ट्र एवं विश्व की विभिन्न समस्याओं के निराकरण में भी सहायक है ।
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy