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________________ आचारांगसूत्र में अहिंसा 16. भया कज्जति - आचारांग सूत्र 1.2.2, सूत्र 73 17. आचारांग सूत्र 1.1, उद्देशक 2-7 18. द्रष्टव्य आचारांग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कन्ध, प्रथम अध्ययन, उद्देशक 2-7 19. भयाकज्जति पावमोक्खो ति मण्णमाणे अदुवा आसंसाए । - आचारांग सूत्र 1.2.2, सूत्र 73 20. आचारांग सूत्र 1.1.6, सूत्र 52 21. से आतबले, से णातबले, से मित्तबले.....। आचारांगसूत्र 1.2.2 सूत्र 33 22. (i) आतुरा परितार्वेति। - आचारांग सूत्र 1.1.2, सूत्र 10 (ii) आतुरा परितावए । - आचारांग सूत्र 1.6.1, सूत्र 180, (iii) आतुरा परितावेंति । - आचारांग सूत्र 1.1.6, सूत्र 49 23. अहो य राओ य परितप्पमाणे कालाकालसमुट्ठायी संजोगट्ठाई अट्ठालोभी आलूंपे सहसक्कारे विणिविट्ठचित्ते एत्थ सत्थे पुणो पुणो । - आचारांगसूत्र, 1.2.2 सूत्र 72 309 24. आचारांग सूत्र 1.2.4, सूत्र 82 25. तुमं सि णाम तं चेव जं हंतव्वं ति मण्णसि । - आचारांगसूत्र 1.5.5, सूत्र 170 26. तं से अहिताए, तं से अबोधीए । - आचारांगसूत्र, प्रथम श्रुतस्कन्ध, प्रथम अध्ययन, सभी उद्देशक। 27. अट्टे लोए परिजुण्णे दुस्संबोधे अविजाणए । आचारांगसूत्र, 1.1.2 सूत्र, 10 28. आचारांगसूत्र 1.6.1 सूत्र, 180 29. परस्परोदीरितदुःखाः। - - तत्त्वार्थसूत्र, 3.4 30. आचारांग सूत्र 1.6.1, सूत्र 180 31. आचारांगसूत्र, 1.4.4 32. सूत्रकृतांगसूत्र, 1.1.4.10 33. आचारांगसूत्र, 1.1.4, सूत्र 38 34. इति से गुणट्ठी महता परितावेण वसे पमत्ते- आचारांगसूत्र, 1.2.1, सूत्र 63 35. जीविते इह से पमत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुंपित्ता विलुंपित्ता उद्देवत्ता उत्तासयित्ता, अकडं करिस्सामि ति मण्णमाणे। - आचारांगसूत्र, 1.2.1, सूत्र 66 36. आचारांगसूत्र 1.5.4, सूत्र 163 37. जयं चरे जयं चिट्ठे, जयमासे जयं सए । जयं भुंजंतो भासतो, पावकम्मं न बंधइ । । - दशवैकालिक, चतुर्थ अध्ययन, गाथा 8 38. आचारांगसूत्र, 1.3.2, सूत्र 117
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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