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________________ * * * * * * विषयानुक्रम विषय ୨ १- मोक्ष के साधन और सम्यग्दर्शन का लक्षण । सम्यग्दर्शन के उत्पत्ति के हेतु तथा तत्त्व और निक्षेप के भेद । २ तत्त्वों को जानने के उपाय। सम्यग ज्ञान के भेद ।। मतिज्ञान का स्वरूप और उसके भेद । श्र तज्ञान का स्वरूप और उसके भेद । अवधिज्ञान का प्रकार और उनके भेद । मन:पर्याय ज्ञान के भेद । मति आदि ज्ञान का विषय । नय के भेद । २- पाँच भाव, उनके भेद । जीव का लक्षण और उपयोग के भेद । जीव के भेद । इन्द्रियनिरूपण । इन्द्रियो के विषय और स्वामी। जन्म और योनि के भेद । शरीरों के सबंध में वर्णन । आयु के प्रकार और उनके स्वामी। ३-नारकों का वर्णन । मध्यलोक का वर्णन । मनुष्य और तिर्यंच की स्थिति। ४-देवों का वर्णन। लोकांतिक देवों का वर्णन । तिर्यंचों का स्वरूप और देवों की स्थिति । अजीव के भेद । धर्मास्तिकाय आदि के प्रदेशों की संख्या और द्रव्यों के स्थिति क्षेत्र का विचार । धर्मास्तिकाय आदि के लक्षण । पुद्गल के असाधारणपर्याय । पुद्गल के प्रकार। सत् की व्याख्या। MMON ON WW * * * * * * * *g g 8% 8ะะ
SR No.022521
Book TitleTattvarthadhigam Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year1971
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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