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________________ पश्चमोऽध्यायः शब्द, बंध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान भेद (भाग-हिस्से होना), अन्धेरा, छाया, भातप (तडका) और उद्योत वाले भी पुद्गल हैं. शब्द छ प्रकार के हैं:-तत (वीणादि का), वितत (मृदंगादि का) घन (कांसी-कर तालादि का) शुषिर (वांसुरी वगेरा का), घर्ष (घीसने से पैदा हो बह) और भाषा (वाणी का), बध तीन प्रकार के हैं. प्रयोग बंध (पुरुष प्रयत्न-उपाय से हुवा औदारिक वगेरा शरीर का बंध), विश्रा बंध (इन्द्र धनुष्य वगेरा की तरह विषम गुण वाला परमाणु को खुद हो वह धर्म, अधर्म और आकाश का बन्ध वह अनादि विश्रसा) और मिश्रबन्ध (जीव द्रव्य का सहचारी अचेतन द्रव्यपरिणत बंध स्तंभ कुभ वगेरा) सूक्ष्मता दो प्रकार की है. अन्त्य और आपेक्षिक परमाणु में-अन्त्य बहत ही और द्वयगणुकादि में संघात परिणाम की अपेक्षा से आपेक्षिक. जैसे आमले से बोर छोटा है, स्थूलता भी संघात-परिणाम की अपेक्षा से दो प्रकार की है. सर्वलोक व्यापी महा स्कंध में अन्त्य स्थूलता और बोर से आमला मोटा वह आपेक्षिक-मिलान की स्थूलता। संस्थान अनेक प्रकार के है. भेद पांच प्रकार का है-औत्कारिक ( काष्टादि चीरने से यह ), चौर्णिक (चूर्ण-भूका करने से), खंड ( टुकडा करने से ), प्रतर (बादलादि के बिखरने से) और अनुतट (तपाये हुए लोह को घण से कटने से कणिये निकले वह ) तमः अन्धकार. छाया, भातपसूर्य का बुरुण प्रकाश, उद्योत-चन्द्र का अनुष्ण प्रकाश । (२५) अणवः स्कन्धाश्च । अणु और स्कन्ध ये दो प्रकार के पुद्गल है। (२६) संघातभेदेभ्य उत्पद्यन्ते ।
SR No.022521
Book TitleTattvarthadhigam Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year1971
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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