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________________ प्रकाशकीय-निवेदन प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजी महाराज की शुभनिश्रा में सं० २०१० में श्रागमोद्धारक-ग्रंथमाला की स्थापना हुई थी। इस ग्रंथमाला ने अब तक काफी प्रकाशन प्रगट किये हैं। सूरीश्वरजी की पुण्य कृपा से यह "तत्वार्थाधिगमसूत्र" हिंदी अनुवाद को आगमोद्धारक-ग्रन्थमाला के ४६वं रत्न में प्रगट करने से हमको बहुत हर्ष होता है। इसका संशोधन प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजी महाराज के तत्वावधान में शतावधानी मुनिराज श्री लाभसागरजी गणि ने किया है। उसके बदल उनका और जिन्होंने इसके प्रकाशन में द्रव्य और प्रति देने की सहायता की है उन सब महानुभावों का आभार मानते हैं। -प्रकाशक
SR No.022521
Book TitleTattvarthadhigam Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year1971
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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