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________________ तत्वार्थसुत्र ...aamaanaamaaram कालश्च ॥ ३९ ॥ सोऽनन्तसमयः ॥ ४०॥ द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणाः ॥४१॥ तद्भावः परिणामः ॥ ४२ ॥ इति तत्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे पश्चमोऽध्यायः ॥५॥ . कायवाङ्मनः कर्म योगः ॥ १॥ स आस्रवः ॥२॥ शुभः पुण्यस्याशुभः पापस्य ॥ ३॥ सकषायाकषाययोः गुंण पर्याय युक्तिकर बीर । जानो द्रव्य महा गंभीर ॥ पैः मासके भेद निहार । अनंत समय जानो निरधार ॥१४॥ मोरठा। कालहु द्रव्य सु जान, दैव्याश्रित निरगुण गुण ।। द्रव्य स्वरूप वखान, सो परणामी कहो यह ॥ १५ ॥ दोहा। तत्वारथ यह सूत्र है, मोक्षशास्त्रको मूल । पंचमाध्याय पूरण भयो, मिथ्यामतको शूल ॥ १६ ॥ पद्धरी छंद । मन वचन कायके कार्य जान । सो योग कहे ऋतमें निदान ॥ आश्रव इनको संयोग होय । शुभ अशुभ भेदसोजानो दोय॥१॥ परिणाम सुशुभसों शुभ बखान ।लख अशुभ भावसों अशुभजान ____३९ ये कालगन्यके भेद हैं।
SR No.022517
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhotelal Pandit
PublisherJain Bharti Bhavan
Publication Year1867
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size5 MB
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