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________________ 67 अपने कर्मानुसार अनेक बार उच्चकुल और नीचकुल में जन्म-मरण कर चुकी है। आत्मा और पुनर्जन्म का अस्तित्व स्वीकार करने के बाद भी कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न शेष रह जाते हैं, जैसे-पुनर्जन्म का घटक तत्त्व या कारक तत्त्व क्या है? मृत्यु के बाद दूसरे जन्म में आत्मा अकेली जाती है या अन्य तत्त्व भी साथ जाते हैं। वह कैसे जाती है? उसे नया जन्म लेने में कितना समय लगता है आदि। भगवतीसूत्र में इन सबका विस्तार से समाधान दिया गया है। पुनर्जन्म का घटक तत्त्व है-शरीर। शरीर है इसीलिए पुनर्जन्म होता है। यदि शरीर न हो तो पुनर्जन्म भी नहीं होगा। वास्तव में पुनर्जन्म का कारण कार्मण शरीर या सूक्ष्म शरीर बनता है। __ आत्मा एक जन्म से दूसरे जन्म में जाती है तब वह दो शरीर-कार्मण शरीर और तैजस शरीर को साथ लेकर जाती है। क्योंकि जिस प्रकार ऊर्जा के बिना पाइप पानी नहीं खींच सकता, ठीक उसी प्रकार तैजस् शरीर के बिना जीव गति नहीं कर सकता और कार्मण शरीर के बिना गति की दिशा का निर्धारण नहीं कर सकता। ____ जीव एक जन्म से दूसरे जन्म में जाते समय जो गति करते हैं, उसे अन्तराल गति कहते हैं। यह दो प्रकार की होती है-ऋजुगति और वक्रगति। जन्म स्थान समश्रेणी में होने पर वह ऋजुगति से जाता है और इसमें उसे 'एक समय' लगता है। मृत्यु होते ही एक समय में वह ऋजुगति से जहां जन्म लेना है, वहां जन्म ले लेता है। जन्म स्थान विषमश्रेणी में होने पर वह वक्रगति से जाता है और इसमें उसे दो से चार समय तक का कालमान लग सकता है। पूर्वजन्म की स्मृति के हेतु - भगवान महावीर ने आचारांग सूत्र में पूर्वजन्म को जानने के तीन हेतु बताये हैं
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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