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________________ 23 प्रदेशी स्कन्ध ही हमारी दृष्टि के विषय बनते हैं। संख्येय-असंख्येय प्रदेशी स्कन्ध सूक्ष्म होने के कारण हमारी दृष्टि के विषय नहीं बनते 2. देश-स्कन्ध का बुद्धि कल्पित एक विभाग देश कहलाता है। जब हम कल्पना करते हैं कि यह इस पेन्सिल का आधा भाग है या यह इस पुस्तक का एक पृष्ठ है, तब वह उस समग्र स्कन्ध रूप पेन्सिल या पुस्तक का एक देश कहलाता है। देश स्कन्ध से पृथक् नहीं होता। पृथक् होने पर वह देश नहीं रहता, स्वतंत्र स्कन्ध बन जाता है। ____ 3. प्रदेश-परमाणु जितने वस्तु के भाग को प्रदेश कहते हैं। परमाणु और प्रदेश का माप बराबर होता है। परमाणु जब तक स्कन्धगत है, तब तक वह प्रदेश कहलाता है। दूसरे शब्दों में स्कन्ध का सूक्ष्मतम भाग, जब तक वह स्कन्ध के साथ जुड़ा हुआ है, प्रदेश कहलाता है। पर वही सूक्ष्मतम भाग जब स्कन्ध से अलग हो जाता है, तब उसे परमाणु कहा जाता है। उदाहरणतः एक वस्त्र हजारों-हजारों तंतुओं से बना एक स्कन्ध है। कल्पना से प्रत्येक तंतु को एक प्रदेश मान लें। इस प्रकार एक वस्त्र में हजारों-हजारों प्रदेश हो गए। यदि हम उस वस्त्र में से एक तन्तु बाहर निकाल लें तो वह तन्तु फिर प्रदेश नहीं अपितु परमाणु कहलाएगा अर्थात् जब तक वह तन्तु वस्त्र से जुड़ा हुआ है तब तक प्रदेश है और जब वस्त्र से अलग हो गया तो परमाणु बन गया। 4. परमाणु-जिसका विभाग न हो उसे परमाणु कहते हैं। परमाणु अविभाज्य, अछेद्य, अभेद्य, अदाह्य और अग्राह्य है। सूक्ष्मता के कारण उसका न कोई आदि है, न मध्य है, न अन्त है। वह इन्द्रिय ग्राह्य भी नहीं है। परमाणु में एक गन्ध, एक वर्ण, एक रस और दो स्पर्श होते हैं। प्रदेश और परमाणु में केवल स्कन्ध से अपृथग्भाव और पृथग्भाव का अन्तर है।
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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