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________________ 210 होता। इसके लिए दीर्घकालिक अभ्यास अपेक्षित है। सम्यक् दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए निम्न निर्दिष्ट अनेकान्त के सिद्धान्त और प्रायोगिक अभ्यास-अनुप्रेक्षाओं का प्रशिक्षण आवश्यक है प्रयोग सामंजस्य की अनुप्रेक्षा सह-अस्तित्व की अनुप्रेक्षा स्वतन्त्रता की अनुप्रेक्षा सापेक्षता की अनुप्रेक्षा सिद्धान्त 1. सप्रतिपक्ष 2. सह- -अस्तित्व 3. स्वतन्त्रता 4. सापेक्षता 5. समन्वय समन्वय की अनुप्रेक्षा । · 3. जीवनशैली - परिवर्तन अहिंसा - प्रशिक्षण का तीसरा आयाम है— जीवनशैली का परिवर्तन । आज व्यक्ति अहिंसक बनना चाहता है किन्तु जीवनशैली को बदलना नहीं चाहता । अहिंसक बनने के लिए आवश्यक है परिग्रह का सीमा करना और परिग्रह के सीमा के लिए आवश्यक है भोगों पर नियंत्रण करना। अनियंत्रित भोग हिंसा को बढ़ावा देते हैं। जीवनशैली को बदलने का एक महत्त्वपूर्ण सूत्र हैसुविधावादी जीवनशैली में परिवर्तन । सुविधावादी जीवनशैली प्रदूषण पैदा कर रही है। आज इस वैज्ञानिक युग में समाज सुविधा नहीं छोड़ सकता किन्तु वह असीम न बने - यह विवेक आवश्यक है। अहिंसक बनने के लिए आवश्यक है जीवनशैली में संयम को प्रतिष्ठा मिले, सुविधा को नहीं । वास्तव में संयम ही जीवन है और संयम से ही हिंसा का समाधान है। - अहिंसा के विकास के लिए आवश्यक है जीवनशैली श्रम प्रधान और व्यसनों से मुक्त हो । श्रम किये बिना पैसा प्राप्त करने की मनोवृत्ति हिंसा और अपराध को बढ़ाती है। सेवन भी अपराध चेतना को बढ़ाने में निमित्त बनती है। मादक द्रव्यों का
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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