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________________ 168 जीवनशैली के कारण हर परिस्थिति में सामंजस्य स्थापित कर लेता 3. अहिंसा जैन जीवनशैली का तीसरा सूत्र है-अहिंसा। हिंसा और जीवन दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। गृहस्थ जीवन हिंसा के बिना नहीं चल सकता अतः एक गृहस्थ पूर्ण अहिंसक नहीं बन सकता। जीवन-यापन के लिए हिंसा अपरिहार्य है। अहिंसक जीवनशैली से तात्पर्य पूर्ण अहिंसक बनने से नहीं अपितु अनावश्यक की जाने वाली हिंसा को छोड़ने से है। हिंसा का अल्पीकरण करने से है। * हिंसा के अल्पीकरण का पहला प्रयोग है-अनावश्यक हिंसा का वर्जन करना। * हिंसा के अल्पीकरण का दूसरा प्रयोग है-आक्रामक वृत्ति का परित्याग करना। * हिंसा के अल्पीकरण का तीसरा प्रयोग है-आत्महत्या का परित्याग करना। * हिंसा के अल्पीकरण का चौथा प्रयोग है-भ्रूणहत्या का परित्याग करना। अहिंसक जीवनशैली में इन चारों का बहुत महत्त्व है। अहिंसक जीवनशैली से मानवीय संबंधों का विकास होता है, पारिवारिक और सामाजिक संबंधों का विकास होता है। मैत्री और करुणा का विकास होता है। 4. समण संस्कृति जैन जीवनशैली का चौथा सूत्र है- समण संस्कृति। समानता, उपशमभाव और श्रमशीलता का संगम समण संस्कृति का प्राण है। समानता की भावना से मानवीय एकता की भावना को बल
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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