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________________ 154 1. सामायिक व्रत, 2. देशावकासिक व्रत, 3. पौषध व्रत, 4. अतिथि-संविभाग व्रत। 9. सामायिक व्रत पहला शिक्षाव्रत सामायिक है। सामायिक सम और आय-इन दो शब्दों के संयोग से बना है। सम का अर्थ है-समता, समभाव। आय का अर्थ है-लाभ, प्राप्ति। जिससे समभाव का लाभ या समता की प्राप्ति होती है, उसे सामायिक कहते हैं। जैन परम्परा में एक मुहूर्त (48 मिनिट) तक सावद्य-प्रवृत्ति का त्याग कर समभाव में स्थिर होने का अभ्यास करना सामायिक व्रत है। 10. देशावकासिक व्रत . दूसरा शिक्षाव्रत देशावकासिक व्रत है। एक निश्चित अवधि के लिए हिंसा, असत्य आदि का त्याग करना देशावकाशिक व्रत है। पांच अणुव्रतों और तीन गुणव्रतों में जो त्याग किए जाते हैं, वे जीवनभर के लिए किए जाते हैं, किन्तु जो श्रावक इनका त्याग जीवनभर के लिए न करके दो-चार वर्षों के लिए करता है, तो वे सब त्याग (व्रत) देशावकासिक व्रत में आते हैं। ___ दिशापरिमाणव्रत में जीवनभर के लिए दिशाओं की मर्यादा की जाती है। उन दिशाओं की मर्यादाओं के परिमाण में कुछ घंटों या दिनों के लिए विशेष मर्यादा निश्चित करना. देशावकासिक व्रत है। इसी प्रकार भोगोपभोग-परिमाण व्रत में जो सीमा निर्धारित की गई उसका भोग भी प्रतिदिन नहीं किया जाता, उस निर्धारित सीमा का कुछ घंटों या दिनों के लिए संकुचित करना देशावकासिक व्रत है। उपलक्षण से अन्य व्रतों की स्वीकृत मर्यादाओं को संकुचित करना भी इस व्रत में समाहित है।
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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