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________________ . विषय पृष्ठ विषय ८१ अतिरिक्त सामान्यवादी को वृत्तित्व १०४ द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक दोनों के तुल्य का प्रश्न अभ्युपगम का निरसन , अनुक्त उपालम्भ की आशंका-वैशेषिक १०५ शब्दनयों में द्रव्यस्वीकारादि की ८२ तृतीय विकल्प से वृत्तित्व का अस- आपत्ति म्भव-जैन १०६ द्रव्यविशेषणतया पर्याय के स्वीकार अतिरिक्त सामान्यपक्ष में दोषापादन से समाधान ८३ समानपरिणाम-पक्ष में शंका-समाधान १०७ भाष्यकार के विरोधाभासी वचनों के .. सामान्य की व्याख्या में आत्माश्रय तात्पर्य की शंका की शंका १०८ तात्पर्य का स्पष्टीकरण-समाधान ८४ ,, ,, दुर्घहता का निराकरण १०९ मुख्यत्वरूप स्वातन्त्र्य को लेकर तात्पर्य ८५ अनुवृत्तिबुद्धि कारणता पक्ष में आत्मा- भेद-समाधान श्रय-शंका ११० 'जीवो गुणपडिवन्नो' गाथा व्याख्यान मृत्परिणामत्वादिरूप से निर्दोष स्पष्टाभिप्राय कारणता-उत्तर द्रव्यार्थिक में मतान्तर से अकल्पित ८६ सामान्यविषयक बुद्धि निर्विषयक होने पर्याय का स्वीकार की बौद्धशंका और समाधान नय में भासमान विशेषण कल्पित ८८ स्वतन्त्र विशेषपदार्थ की सिद्धि में होने का नियम नहीं कणादमत का पूर्वपक्ष सावज्ज जोग विरओ० गाथा का अर्थ ८९ स्वतन्त्रविशेष का निरसन-उत्तरपक्ष ११३ विशेषण कल्पित ही होने की शंका ९० सत्त्व का लक्षण त्रिकालाऽबाध्यत्व और समाधान -वेदान्ती श्रीहर्ष का मत ११४ संग्रहनय-संग्रहण में तत्पर ९३ भेद अवास्तव होने पर अभेद की ११६ संग्रहतत्परता का अर्थ क्या है ? असिद्धि-जैन मत ११७ संगृहीत-पिण्डितार्थ वचन संग्रहनय ९४ नैगमनय की सूत्रानुसार निरुक्ति ११८ तत्वार्थभाष्य के अनुसार व्याख्या ९६ , स्वीकार्य चारों निक्षेप , सत्ता से इतर सभी विशेष आविद्यक. ९८ चारों निक्षेपों की व्यापकता पर आक्षेप ११९ चार निक्षेप का स्वीकार ९९ अव्यापकता पक्ष में सत्रविरोध की शंका १२२ संग्रह में निक्षेपत्रयवादी का निराकरण • १२३ भावकारणभूत नाम के द्रव्य में अन्त१०० व्यापकता में संकोच कर के समाधान पूर्ण व्यापकता की उपपत्ति में अन्यमत र्भाव की समस्या १०१ केवलिप्रज्ञारूप नामनिक्षेप का मत १२५ व्यवहारनय-लोकव्यवहार साधक अध्यवसाय अरम्य १२६ व्यवहारनय में अन्यापोहरूप सामान्य गुण-पर्यायरहित द्रव्यजीवकल्पना १२७ अन्यापोहरूप सामान्य की ज्ञप्ति में अयुक्त अन्योन्याश्रयदोष शंका-समाधान नैगमनय में नामादि स्वीकार से द्रव्या- १२८ शब्दानुगम से अनुगत व्यवहार की . र्थिकत्वव्याघात की शंका उपपत्ति ११२
SR No.022472
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani
PublisherAndheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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