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________________ प्रस्तावना घटनाओं के उल्लेख हैं । अतः नियुक्तिकर्ता का समय सन की दूसरी सदी के पहले नही हो सकता। कथाओं में भद्रबाहु को वराहमिहिर का बन्धु कहा गया है । अतः वराहमिहिर के समयानुसार इन भद्रबाहु ( द्वितीय ) का समय भी छठी सदी का पूर्वार्ध माना गया है । तथापि इस में सन्देह नही कि नियुक्तियों में प्रथित स्पष्टीकरणों की परम्परा काफी प्राचीन है। तार्किक चर्चा के कई प्रसंग नियुक्तियों में आये हैं। इस दृष्टि से दशवैकालिक नियुक्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है । जीव का अस्तित्व, कर्तत्व, नित्यत्व, शन्यत्व आदि की अच्छी चर्चा इस में मिलती है। इस की गाथा १३७ में अनुमान के दस अवयवों का वर्णन भी महत्त्वपूर्ण है । न्यायदर्शन के अनुमान वाक्य में प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टान्त, उपनय और निगमन ये पांच अवयव रहते हैं। इस नियुक्तिगाथा में प्रतिज्ञा, प्रतिज्ञाविभक्ति , हेतु, हेतुविभक्ति, विपक्ष, विपक्षप्रतिषेध, दृष्टान्त, आशंका, आशंकाप्रतिषेध एवं निगमन ये दस अवयव बताये हैं। ८. कुन्दकुन्द-आगम के विषयों पर स्वतन्त्र ग्रन्थरचना करनेवाले आचार्यों में कुन्दकुन्द का स्थान महत्त्वपूर्ण है। उन का मूल नाम पद्मनन्दि था-कोण्डकुन्द यह उन के निवासस्थान का नाम है? जो दक्षिणी परम्परा के अनुसार उन के नाम का भाग बन गया है। उन्हो ने पुष्पदन्त व भूतबलिकृत षट्खण्डागम के पहले तीन खण्डों पर परिकर्म नामक टीकाग्रन्थ लिखा था । अतः उन का समय दूसरी सदी के बाद का है। दक्षिण के शिलालेखों की परम्परा के अनसार वे समन्तभद्र तथा उमास्वाति से पहले हुए हैं। अतः सन की तीसरी सदी में उन का कार्यकाल था ऐसा अनुमान होता है । १)इस प्रश्न की विस्तृत चर्चा मुनि चतुरविजय ने आत्मानन्द जन्मशताब्दी स्मारक ग्रन्थ के एक लेख में की है जिस का शीर्षक नियुक्तिकार भद्रबाहुस्वामी' है। २) यह स्थान इस समय आन्ध्रप्रदेश के अनन्तपुर जिले में कोन्कोण्डल नामक छोटासा गांव है। ३) षट्खण्डागम खण्ड १ प्रस्तावना; श्रुतावतार श्लो. १६०-६१ । ४) जैन शिलालेखसंग्रह प्रथम भाग प्रस्तावना पृ. १२९-१४०. ५) कुन्दकुन्द के विषय में विस्तृत विवेचन प्रो. उपाध्ये ने प्रवचनसार की प्रस्तावना में प्रस्तुत किया है। कुन्दकुन्दप्राभृतसंग्रह की पं. कैलाशचंद्रशास्त्री की प्रस्तावना भी उपयुक्त है।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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