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________________ २८४ विश्वतत्त्वप्रकाशः [ -८५ इति पुरुषस्यैव भोगस्तदर्थ पुरुषः परिकल्प्यत इति चेन्न । तथा सति कृतनाशाकृताभ्यागमदोषप्रसंगात् । तत् कथम् । सदाचारदुराचाराभ्यां प्रकृतितत्त्वमेव शुक्लं कृष्णं कर्म बध्नाति, तत्फलं सुखदुःखादिकं पुरुषोऽनुभुङ्क इति । अथ तथैवास्त्विति चेन्न । अकर्तुरपि कर्मफलभोगे मुक्तात्मनामपि तत्फलभोगप्रसंगात् । किंच । आत्मनः कर्मकर्तृत्वाभावे तत्फलभोगोऽपि न प्रसज्यते । तथा हि । वीतात्मानः न कर्मफलभोक्तारः तदकर्तृत्वात् मुक्तात्मवदिति । तस्मात् आत्मनः कर्मफलभोक्तृत्वमिच्छता तत्कर्तृत्वं तद्बद्धत्वं च अङ्गीकर्तव्यम् । तथा च आत्मनः संसारावस्थायामशुद्धत्वं सिद्धम् । तथा सर्वगतत्वाभावस्यापि प्राक् प्रमाणैः प्रतिपादितत्वादक्रियत्वाभावोऽपि निश्चीयते । तस्मात् सांख्योक्तप्रकारेण जीवतत्त्वस्यापि याथात्म्यासंभवात् तद्विषयविज्ञानस्य मिथ्यात्वेन अज्ञानत्वात् ततः सर्वदा बन्ध एव न ततो मुक्तिः । तथा चोक्तं तेनैव पुरुष को होता है । कहा भी है- 'जिस तरह स्वच्छ जल में चंद्र का प्रतिबिम्ब पडता है उसी तरह बुद्धि की विवेक युक्त दृष्टि होने पर इस पुरुष को उपभोग प्राप्त होता है ।' किन्तु प्रकृति को कर्ता और पुरुष को भोक्ता मानने का यह मत योग्य नही । यदि सदाचार और दुराचार प्रकृति ही करती है तथा शुक्ल और कृष्णकर्म भी प्रकृति के ही होते हैं तो उन का सुखदुःख रूप फल पुरुष को कैसे मिलेगा ? यह तो कृतनाश तथा अकृताभ्यागम दोष होगा ( जिस प्रकृति ने कर्म किया उसको कुछ फल नही मिला तथा जिस पुरुष ने कुछ कर्म किया नही उसे फल मिला -- ये कृतनाश तथा अकृताभ्यागम दोष है । ) यदि कर्म न करने पर भी फल मिलता हो तो मुक्त आत्माओं को भी फल मिलेगा । मुक्त आत्माओं के समान यदि ( संसारी ) पुरुष भी अकर्ता है तो उसे भी कोई फल नही मिलना चाहिये । अतः आत्मा को भोक्ता मानना हो तो कर्ता और कर्मबद्ध भी मानना आवश्यक है | अतः संसारी अवस्था में आत्मा अशुद्ध सिद्ध होता है । आत्मा के सर्वगत तथा अक्रिय होने का खण्डन पहले ही किया है । अतः सांख्य मत में आत्म-तत्त्व का यथाथ ज्ञान प्राप्त नही होता । इसलिए यह मत बन्ध का कारण है-मुक्ति का
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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