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________________ २६४ विश्वतत्त्वप्रकाशः [८१अर्थप्रकाशकत्वात् इन्द्रियसंप्रयोगमन्तरेण प्रत्यक्षत्वात् प्रदीपवदिति तत्सिद्धेः। तस्मात् प्रकृतिरुपादानत्वेन बुद्धि न जनयतीत्यङ्गीकर्तव्यम् । नापि द्वितीयः पक्षः। सांख्यैः प्रकृतेः सहकरिनिमित्तकारणत्वानगी. कारात् । ततश्च प्रकृतेर्महानुत्पद्यत इति यत् किंचिदेतत् । तथा महतः सकाशादहंकार उत्पद्यत इत्यत्रापि। महतो बुद्धेरात्मधर्मत्वेन उपादानत्वायोगात्। तथा हि। बुद्धिरुपादानकारणं न भवति आत्मधर्मत्वात् अनुभववदिति । ननु बुद्धः प्रकृतिपरिणामत्वादात्मधर्मत्वमसिद्धमिति चेन्न। बुद्धिरात्मधर्मः स्वसंवेद्यत्वात् अनुभववदिति बुद्धरात्मधर्मत्वसिद्धेः। स्वसंवेद्यत्वं च तस्याः प्रागेव समर्थितमित्युपरम्यते । तथाहंकारोऽपि अहमिति शब्दोच्चारणम् , अहंप्रत्ययो वा, अहं. प्रत्ययवेद्योऽर्थो वा स्यात् । न तावदाद्यः, शब्दोच्चारणस्य पुद्गलोपादानकारणात् ताल्वादिनिमित्तकारणात् देशकालादिसहकारिकारणादुत्पद्यमानत्वेन महदुपादानकारणकत्वाभावात् । नापि द्वितीयः अहंप्रत्ययनही हो सकती । बुद्धि स्वसंवेद्य है अतः वह आत्मा का गुण है। दूसरे प्रकार से भी यह तथ्य स्पष्ट करते हैं । अहंकार का तात्पर्य 'अहं' इस शब्दोच्चारण से हो तो वह बुद्धि से उत्पन्न नही हो सकता क्यों कि शब्दोच्चारण तालु आदि के निमित से पुद्गल (जड पदार्थ) से उद्भूत होता है अतएव वह अचेतन है तथा बुद्धि चेतन है । 'अहं' इस प्रकार के ज्ञान को अहंकार मानें तो वह भी बुद्धि से उत्पन्न नही होगा क्यों कि ज्ञान आत्मा का गुण है - उस का उपादान कारण आत्मा है, बुद्धि नही। 'अहं' इस ज्ञान का विषय अहंकार है यह कहें तो भी वह बुद्धि से उत्पन्न नही हो सकता - 'अहं' इस ज्ञान का विषय स्वयं आत्मा ही है, वह बुद्धि से उत्पन्न नही हो सकता । मैं ज्ञाता हूं, सुखी हूं, दुःखी हूं आदि ज्ञान से युक्त तत्व यदि अहंकार है तो आत्मा इस से भिन्न क्या हो सकता है ? ऐसे अहंकार से भिन्न आत्मा का अस्तित्र किसी प्रमाण से ज्ञात नही होता। शयन आदि समूह किसी दूसरे के लिये होते हैं उसी प्रकार चक्षु आदि का समूह आत्मा के लिये है-यह अनुमान आत्मा के अस्तित्व के समर्थन में प्रस्तुत किया गया है । किन्तु चक्षु आदि का ज्ञान के सहायक १ अहंकारं प्रति । २ अहंकारकार्यस्य ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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