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________________ -७८] मीमांसादर्शनविचारः २५५ तेऽप्यनभिज्ञा एव । तदुक्तप्रकारेणापि पदार्थानां याथात्म्याघटनात्। कुतः द्रव्यगुणक्रियाजातिसंख्यानां वैशेषिकोक्तप्रकारासंभवप्रति पादनेनैव प्राभाकरोक्तप्रकारासंभवस्यापि प्रतिपादितत्वात् । सादृश्यस्यापि सामान्यत्वेनैव समर्थितत्वात् न पृथक् पदार्थान्तरत्वम् । किं च । सादृश्यपदार्थान्तरत्वे वैसादृश्यस्यापि व्यावर्तकस्य पदार्थान्तरत्वं स्यादित्यतिप्रसज्यते। तथा समवायस्य प्रभाकरोक्तस्यापि प्रागेव निषिद्धत्वात् न पदार्थान्तरत्वम् तथा क्रमस्य पदार्थान्तरत्वे योगपद्यस्यापि पदार्थान्तरत्वं स्यादित्यतिप्रसज्यते । केवलं शक्तिरेव पदार्थान्तरत्वेन व्यवतिष्ठते । शक्तिः सामर्थ्य विवक्षितकार्यजननयोग्यता। सा च शक्याद् विवाक्षितादुत्तरकार्यादनुमीयते। ननु पदार्थानां स्वरूपातिरिक्तशक्तेरभावात् स्वरूपमात्रादेव विवक्षितोत्तरकार्योत्पत्तिर्भवति। स्वरूपस्य प्रत्यक्षसिद्धत्वात् न कार्यानुमेयत्वमपीति चेन्न। मुद्गमाषराजमाषनिष्पावाढकचणकादीनां स्वरूपस्य प्रत्यक्षतः प्रतिपन्नत्वेऽपि पाक्यापाक्यशक्तिविशेष मीमांसकों का यह मत योग्य नहीं । इन के नौ पदार्थों में से पहले पांच का विचार वैशेषिक दर्शन के विचार में हो चुका है। सादृश्य सामान्य का ही नामान्तर है। इस का स्वरूप भी पहले स्पष्ट किया है। दूसरे, दो पदार्थों की समानता बतलानेवाले सादृश्य को पदार्थ मानें तो उन में भिन्नता बतलानेवाले वैसादृश्य को भी पदार्थ मानना होगा। इसी प्रकार क्रम को पदार्थ मानें तो योगपद्य ( एक साथ होना) यह भी पदार्थ मानना होगा। प्राभाकर मत के समवाय के स्वरूप का भी पहले विचार किया है। सिर्फ शक्ति का स्वरूप प्राभाकर मत में युक्त प्रतीत होता है। विशिष्ट कार्य को उत्पन्न करने की क्षमता को शक्ति कहते हैं। उस का अनुमान होनेवाले कार्य से होता है। यहां नैयायिकों का आक्षेप है कि शक्ति तो पदार्थ का स्वरूप ही है-स्वरूप से ही उत्तरवर्ती कार्य होता है। स्वरूप का ज्ञान प्रत्यक्ष से ही होता है। अतः शक्ति को पृथक मानना या अनुमान से उस का ज्ञान होना योग्य नही । किन्तु १ सदृशपरिणामस्तिर्यग् खण्डमुण्डादिगोत्ववत् । अत्र गोत्वं सर्वत्र सामान्यम् अतः सादृश्यस्य सामान्यत्वम् ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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