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________________ - ७५ ] न्यायमतोपसंहारः २४७ अथ व्याप्तिबलमवलम्ब्य परस्यानिष्टापादनं तर्क इति चेत् स च उभयप्रमाणप्रसिद्धव्याप्तिकः अन्यतरप्रमाणप्रसिद्धव्याप्तिको वा । न तावदाद्यः पक्षः तथा चेत् तस्य तर्कत्वासंभवात् । तथा हि । वीतस्तर्को न भवति उभयप्रमाणप्रसिद्ध व्याप्तिकत्वात् धूमानुमानवत् । तथा विवादा: ध्यासितं प्रमाणमेव उभयप्रमाणप्रसिद्धव्याप्तिकत्वात् धूमानुमानवत् इति च । अथ द्वितीयः पक्षः कक्षीक्रियते तर्हि वादिप्रमाणप्रसिद्धव्याप्तिको वा प्रतिवादिप्रमाणप्रसिद्धप्राप्तिको वा । न तावदाद्यः वादिप्रमाणप्रसिद्धव्याप्तिकात् तर्कात् परस्यानिष्टमापादयितुमशक्तेः । कुतः परस्य मूलव्याप्तिप्रतिपत्त्यभावात् । अथ परप्रसिद्धव्याप्त्या परस्यानिष्टापादनं तर्क इति चेत् तदस्माभिरप्यङ्गीक्रियते । तथापि व्याप्तिपूर्वकत्वेनोत्पन्नत्वाद् अनुमानानार्थान्तरम् । अथ इदमित्थमेवेत्यवधारणशानं निर्णयपदार्थ इति चेत् तदपि प्रत्यक्षादिप्रमितिरेव, नार्थान्तरम् । अथ 'प्रमाणतर्कसाधनोपलम्भः सिद्धान्ताविरुद्धः पञ्चावयवोपपन्नः अनित्य है - यह निगमन है । इन सब अवयवों का वर्णन तो ठीक है किन्तु ये अनुमान के अवयव हैं तथा अनुमान का पहले प्रमाण पदार्थ में अन्तर्भाव होता है। यदि अनुमान के साधन अवयवों को पृथक् पदार्थ मानें तो प्रत्यक्ष प्रमाण के साधन इन्द्रियों को भी पृथक् पदार्थ मानना होगा । आठवां पदार्थ तर्क है । व्याप्ति के बल से प्रतिवादी को अमान्य 1 तत्त्व सिद्ध करना तर्क है । इसे स्वतन्त्र पदार्थ मानना उचित नही । यदि तर्क में प्रयुक्त व्याप्ति वादी तथा प्रतिवादी दोनों को मान्य हो तो उस का स्वरूप अनुमान से भिन्न नही होगा । यदि यह व्याप्ति सिर्फ वादी को मान्य हो - प्रतिवादी को अमान्य हो तो उस से प्रतिवादी को अमान्य तत्त्व सिद्ध नही होगा । तब व्याप्ति की सत्यता ही वाद का विषय होगा । प्रतिवादी को मान्य व्याप्ति से कोई तत्त्व सिद्ध करना तर्क माना जाय तो यह भी अनुमान से भिन्न नही होगा । अतः तर्क स्वतन्त्र पदार्थ नही है । नौवां पदार्थ निर्णय है । यह तत्त्व इसी प्रकार है ऐसे निश्चित ज्ञान को निर्णय कहते हैं । यह प्रमाणों से प्राप्त ज्ञान से भिन्न नही । दसवां पदार्थ वाद है - ' प्रमाण और तर्क के साधनों से, सिद्धान्त
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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