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________________ -५० ] मायावादविचारः १७३ दिवत्। तथा अन्तःकरणं भोक्तु न भवति जडत्वात् करणत्वात् कार्यत्वात् चक्षुरादिवत् । तथा अन्तःकरणं कर्तृ न भवति जडत्वात् करणत्वात् कार्यत्वात् चक्षुरादिवदिति । अन्तःकरणस्य ज्ञातृत्वाद्यभावात् नान्तःकरणं शानादिगुणवत् जडत्वात् जन्यत्वात् चक्षुरादिवदिति अन्तःकरणस्य ज्ञानादिगुणवत्त्वासंभवात्। तथा चक्षुरादिकमपि न ज्ञातृत्वादिमत् जडत्वादिति हेतोः पटादिवदिति न दृष्टान्तदोषोऽपीति । तस्माजीवस्यैव शातृत्वभोक्तृत्वकर्तृत्वसद्भावेन शानादिविशेषगुणवत्वसिद्धिरिति । तथा आत्मा द्रव्यत्वव्यतिरिक्तावान्तरसत्तासामान्यवान् शरीरात्मसंयोगसंयोगित्वात् शरीरवदित्यात्मनो नानात्वसिद्धिः। ननु आत्मनः संयोगित्वाभावादसिद्धो हेत्वाभास इति चेन्न । आत्मा संयोगी द्रव्यत्वात् परमाणुवदिति आत्मनः संयोगित्वसिद्धेः। अथ आत्मनो द्रव्यत्वाभावादयमप्यसिद्धो हेतुरिति चेन्न। आत्मा द्रव्यं गुणाधारत्वात् परमाणुवदिति द्रव्यत्वसिद्धिः। ननु 'साक्षी चेता केवलो निर्गुणश्च' (श्वेताश्वतर ३०६११) इति श्रुतेरात्मनो निर्गुणत्वाद् गुणाधारत्वमप्यासमिति चेन्न । आत्मा ज्ञानादिगुणवान् ज्ञातृत्वात् भोक्तृत्वात् कर्तृत्वात् स्मारकत्वात् व्यतिरेके पटादिवदिति आत्मनः प्रागेव गुणाधारत्वसमर्थनात् । ज्ञातृत्व आदि सभी विशेषताएं अन्तःकरण की हैं - आत्मा की नही - यह कथन अनुचित है । अन्तःकरण जड है, कार्य है तथा करण है अतः उस में ज्ञाता, भोक्ता, कर्ता होना संभव नही है। अन्तःकरण तथा चक्षु आदि बाह्य इन्द्रिय भी जड और उत्पत्तियुक्त हैं अतः वस्त्र आदि के समान वे सब ज्ञानादि से रहित हैं। अतः ज्ञान आदि आत्मा के ही विशेष गुण हैं - अन्तःकरण के नही। शरीर और आत्मा के संयोग से युक्त होना भी आत्मा में आत्मत्वसामान्य के अस्तित्व का द्योतक है । आत्मा द्रव्य है अतः परमाणु के समान वह भी संयोगी है। आत्मा ज्ञान आदि गुणों से युक्त है अतः उसे द्रव्य कहा है। इस के विरुद्ध आत्मा साक्षी, चेतन, केवल तथा निर्गुण है' यह उपनिषद्वचन उद्धत करना व्यर्थ है क्यों कि ये आगमवचन अप्रमाण हैं । आत्मा शरीरसंयोग से युक्त तभी हो सकता है जब वह अनेक हो । अतः आत्मा को एक मानना प्रमाण विरुद्ध है।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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