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________________ स्वीकृति दे दी। बोडक साहिन्य-मन्त्री पं. शोभाचन्द्रजी भारिल्ल को अनुवाद का कार्य सौंपा गया, जिसे पंडितजीने बडी तत्परता के साथ यथाशक्य शीघ्र ही सम्पादित कर दिया। पाथर्डी परीक्षाबोर्ड के निजो मुद्रणालय 'श्री सुधर्मा मुद्रणालय' के अन्दर इसके मुद्रणकी व्यवस्था की गई। मुद्रण का कार्य पूर्ण होते ही अनेक स्थानोंसे पुस्तक की मांग तेजी से आने के कारण बाइंडिंग के पहले ही अनेक प्रतियाँ कच्ची बाइंडिंग होकर भेज दी गईं। अनुवाद की प्रशंसाके साथ कुछ विद्वानोंने उसमें 'विशिष्ट स्थलोंके विवेचन-स्पष्टीकरण का एक परिशिष्ट अन्त में जोड़नेका भी सुझाव दिया । यह सुझाव उपयुक्त होनेसे गत वर्ष पूज्यश्रीजी के देहली-चातुर्मास में दार्शनिक जगत के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् एवं पाथर्डी बोर्ड की विद्वत्परिषद् के माननीय सदस्य डॉक्टर इन्द्रचन्द्रजी शास्त्री एम्. ए., पी. एच. डी. का समागम हुआ, उनसे परिशिष्ट के बारे में बात हुई। आपने उसे बडी प्रसन्नता से स्वीकार किया और कुछ ही दिनों म इस कार्य को सम्पादित कर हमें प्रकाशनार्थ सौंप दिया। इन दिनों पं. भारिल्लजी · रत्नाकरावतारिका' के हिन्दी अनवाद में तत्पर होने से डाक्टर इन्द्रचन्द्रजी को हमने कार्यभार जिस भावना से सुपूर्द किया था, डाक्टर सा. ने उस भावना के औचित्य को मान्य कर के कार्य सम्पादन में जो उत्साह दिखाया है, वह सर्वथा स्तुत्य है। इस प्रकार जैन तर्क भाषा के प्रस्तुत संस्करण को मूल-अनुवाद और परिशिष्टसहित सांगोपाग तैयार कर के विद्वद्धोग्य और छात्रोपयोगी बनाने का प्रयत्न किया गया है। आशा है जिज्ञासूओं की जिज्ञासा को तृप्त करने में यह यत्न अवश्य सहायक सिद्ध होगा। . इस पुस्तक के प्रकाशन कार्य में जिन सद्गृहस्थों के आर्थिक आश्रय का उपयोग किया गया है, उनकी नामावली इस प्रकार है ५०१ श्री रतनचन्दजी भिकमदासजी बाँठिया, पनवेल ५०१ श्री भैरूलालजी दीपचन्दजी गांधी, लोनावला ५०१ श्री सौ. गुलाबबाई कचरदासजी लोढ़ा, अहमदनगर ५०१ श्री धनराजजी पनालालजी जैन, जालना ५०१ श्री मोतीलालजी रायचन्दजी दूगड़, कुर्ला (बम्बई) ५०० श्री शक्करबाईजी सुराणा, द्रुग (म.प्र) अन्त में उन सभी महानुभावों का-जिनके श्रम और सहयोग के परिणामस्वरूप हम इस कार्य में सफल हो सके हैं, हृदय से आभार मानते हैं। मन्त्रीगण, पुस्तक प्रकाशन विभाग, श्री तिलोक रत्न स्था. जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड, पाथरी, (अहमदनगर) - - -
SR No.022456
Book TitleJain Tark Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachandra Bharilla
PublisherTiloakratna Sthanakvasi Jain Dharmik Pariksha Board
Publication Year1964
Total Pages110
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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