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________________ ( 4 ) पण जनसमाजमां प्रसिद्ध करवा अमो भाग्यशाळी बनीशुं, आ ग्रन्थकर्ता महात्मानी जन्मभूमि श्रीस्तंभत्तीर्थ ( खंभात ) छे. तेओश्रीनो श्रीश्रीमाळ (विशाश्रीमालि ) ज्ञातिना शा. छोटालाल पानाचंदना कुलदीपक पुत्ररूपे रत्नकुक्षिणी माता बाइ परसननी कुक्षिये संवत् १९४४ मां जन्म कर्यो हतो, अने लघुवयमांज तेओ साहेबजी दीक्षा लइ आवा सुशोभितपदो मेळवावा तथा ग्रन्थो बनाववा भाग्यशाळी नीवड्या छे. धारण प्रसंगोपात अमारे कहेवुं जोइये के- भट्टारकश्री' सूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्नोपैकी न्यायवाचस्पति शास्त्र विशारद अनुयोगाचार्य ओ ही श्री महोपाध्यायजी दर्शनविजजीगणिजी महाराजे पण " स्याद्वादबिन्दु” विगेरे न्यायना अपूर्वग्रन्थो बनावेला छे ते पण अमे आशा राखीये छोये के जैनप्रजानी सन्मुख प्रसिद्धिमां मूकवा भाग्यशाळी बनीशुं तेमज बीजा शिष्यरत्न अनुयोगाचार्यपन्यासजीश्रीप्रतापविजयजीगणिजी महाराजे पण "नूतनस्तोत्र संग्रह” तथा “प्राकृतरूपावली” ग्रन्थो बनाव्या छे जे प्रसिद्ध थयेला छे तेमज तेओश्रीए बनावेला वीजा पण ग्रन्थो छे तेमज मर्हम शिष्यरत्न प्रवर्तक श्रीयशोविजयजी महाराज पण एक नामीचा वैयाकरण तथा शीघ्रकवि तरीके प्रसिद्ध हता अने तेओनो बनावेलो-"स्तुतिकल्पलता” नामनो ग्रन्थ प्रसिद्धिमां मूकायेलो छे. श्रीमान् शिष्य पद्मविजयजी महाराजनी बनावेली "जिनस्तवनचोवीशी" पण प्रसिद्धिमा मूकायेली छे तेमज भट्टारकश्रीमानना प्रशिष्य अने ग्रन्थकर्ता महाराजना शिष्य श्रीमान् नन्दनविजयजीमहाराज़नो बनावेलो "स्तोत्र भानु" नामनो ग्रन्थ
SR No.022455
Book TitleNyaya Tirth Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayvijay
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1913
Total Pages96
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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