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________________ Pramme सम्पादक : प्रकाशक राजस्थानदीपक पूज्यपाद पर प्राचार्यदेव श्रीमद् प्राप्तिस्थान : विजयसुशीलसूरीश्वरजी प्राचार्य श्रीसुशीलसूरि म. सा. के विद्वान् जैन ज्ञानमन्दिर व्याख्याता शिष्यरत्न शान्तिनगर, पूज्य मुनिराजश्री | सिरोही (राजस्थान) जिनोत्तमविजयजी म.सा. श्रीवीर सं. २५०६ प्रतियाँ १००० श्रीविक्रम सं. २०३६ श्रीनेमि सं. ३४ प्रथमावृत्ति मूल्यम् : सप्तरूप्यकारिण 卐 सदुपदेशक परमपूज्य शासनसम्राट श्रीमविजयनेमिलावण्यवक्षसूरीश्वरजी म. सा. के वयोवृद्ध शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्रीअरिहन्तविजयजी म.सा. के सदुपदेश से जावाल श्रीजैनसंच की श्रीजिनदास धर्मदास को पेड़ी द्वारा ज्ञान खाता में से इस पुस्तिका प्रकाशन में द्रव्य-सहायता प्राप्त हुई है। प्रेरक : श्री सुखपालचन्द भण्डारी जोधपुर (राजस्थान) 卐卐 मुद्रक : हिन्दुस्तान प्रिण्टर्स जोधपुर
SR No.022450
Book TitleNayvimarsh Dwatrinshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1983
Total Pages110
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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