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________________ (४८) [ प्रथम परिच्छेदन दृष्टान्त का निरूपण प्रतिबन्धप्रतिपत्तेरास्पदं दृष्टान्तः ॥ ४३ ॥ स द्वधा साधर्म्यतो वैधयंतश्च ॥४४॥ ... यत्र साधनधर्मसत्तायाम् साध्यधर्मसत्ता प्रकाश्यते स साधर्म्यदृष्टान्तः ॥४॥ यथा-यत्र यत्रधूमस्तत्र तत्र वह्निर्यथा महानसः॥४६॥ यत्र तु साध्याभावे साधनस्यावश्यमभावः प्रदर्श्यते स वैधर्म्यदृष्टान्तः ॥४७॥ यथा-अग्न्यभावेन भवत्येव धूमो यथाजलाशये ॥४॥ अर्थ अविनाभाव बताने के स्थान को दृष्टान्त कहते हैं। ___दृष्टान्त दो प्रकार का है-(१) साधर्म्य दृष्टान्त और (२) वैधर्म्य दृष्टान्त ॥ जहां साधन के होने पर साध्य का होना बताया जाय वह साधर्म्य दृष्टान्त कहलाता है। जैसे-जहाँ-जहाँ धूम होता है वहाँ-वहाँ अग्नि होती है, जैसे रसोई घर। ___जहाँ साध्य के अभाव में साधन का अवश्य प्रभाव दिखाया जाता है वह वैधर्म्य दृष्टान्त है। . .
SR No.022434
Book TitlePramannay Tattvalok
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachandra Bharilla
PublisherAatmjagruti Karyalay
Publication Year1942
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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