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________________ श्री वीतरागायनमः नियमावली। मुनि श्री अनन्तकीर्ति ग्रंथमाला । १ यह ग्रन्थमाला श्री अनन्तकीर्ति मुनिकी स्मृतिमें स्थापित हई हैं जो दक्षिण कनड़ाके निवासी दिगम्बर साधु चारित्रके तत्व ज्ञानपूर्वक पालनेवाले थे और जिनका देहत्याग श्री गो० दि० जैन सिद्धान्त विद्यालय मुरैना (गवालियर) हुआ था। * २ इस प्रन्थमाला द्वारा दिगम्बर जैन संस्कृत व प्राकृत ग्रन्थ भाषाटीका सहित तथा भाषाके ग्रन्थ प्रबंधकारिणी कमेटीकी सम्मतिसे प्रकाशित होंगे। ३ इस ग्रन्थमालामें जितने ग्रन्थ प्रकाशित होंगे उनका मूल्य लागत मात्र रक्खा जायगा लागत में ग्रन्थ सम्पादन कराई संशोधन कराई छपाई जिल्द बधाई आदिके सिवाय आफिस खर्च भाड़ा और कमीशन भी सामिल समझा जायगा। ४ जो कोई इस ग्रन्थमालामें रु. १००) व अधिक एकदम प्रदान करेंगे उनको ग्रन्थमालाके सब ग्रन्थ विनान्योछावरके भेट किये जायगे यदि कोई धर्मात्मा किसी ग्रन्थकी तैयारी कराई में जो खर्च परे वह सब देवेंगे तो ग्रन्थके साथ उनका जीवन चरित्र तथा फोटो भी उनकी इच्छानुसार प्रकाशित किया जायगा यदि कमती सहायता देगे तो उनका नाम अवश्य सहायकोंमें प्रगट किया जायगा इस ग्रव्यमाला द्वारा प्रकाशित सब ग्रन्थ भारतके प्रान्तीय सर. कारी पुस्तकालयोंमें व म्यूजियमोंकी लायबेरियोंमें व प्रसिद्ध २ विद्वानों व त्यागियोंको भेटस्वरूप भेजे जायंगे जिन विद्वानोंकी संख्या २५ से अधिक न होगी। ५ परदेशकी भी प्रसिद्ध लायब्रेरियों व विद्वानोंको भी महत्वपूर्ण ग्रन्थ मंत्री भेट स्वरूपमें भेज सकेंगे जिनकी संख्या २५ से अधिक न होगी। ६ इस ग्रन्थमालाका सर्व कार्य एक प्रबंधकारिणी सभा करेगी जिसके सभासद ११ व कोरम ५ का रहेगा इसमें एक सभापति एक कोषाध्यक्ष एक मंत्री तथा एक उपमंत्री रहेंगे। ७ इस कमेटीके प्रस्ताव मंत्री यथा संभव प्रत्यक्ष व परोक्ष रूपसे स्वीकृत करावेंगे। ८ इस ग्रन्थमालाके वार्षिक खर्चका बजट बन जायगा उससे अधिक केवल १००) मंत्री सभापतिकी सम्मतिसे खर्च कर सकेंगे। __ ९ इस ग्रन्थमालाका वर्ष वीर सम्वत्से प्रारम्भ होगा तथा दिवाली तककी रिपोर्ट व हिसाब आडीटरका जचा हुआ मुद्रित कराके प्रति वर्ष प्रगट किया जायगा। १. इस नियमावलीमें नियम नं. १-२-३ के सिवाय शेषके परिवर्तनादि पर विचार करते समय कमसे कम ९ महाशयोंकी उपस्थिति आवश्यक होगी।
SR No.022432
Book TitlePramey Ratnamala Vachanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Chhavda
PublisherAnantkirti Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages252
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size15 MB
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