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________________ नंबर. विषय २१ भेदाभेद एकान्त और अवक्तव्य पक्षका निषेध. २२ अनेकान्त धर्मका स्थापन. पंचम परिच्छेद ॥५॥ २३ धर्म और धर्मीकी अपेक्षाअनपेक्षपक्षद्वारा एकान्तका निषेध अनेकान्तका स्थापन. ७४ छठा परिच्छेद ॥६॥ २४ हेतु और आगमविषयक एकान्तपक्ष निषेध अनेकान्तधर्मस्थापन. सप्तम परिच्छेद ॥ ७॥ २५ अन्तरङ्ग बहिरङ्ग तत्वविषयक एकान्तका निषेध. २६ अन्तरङ्ग बहिरङ्ग तत्वविषयक अनेकान्तकी सिद्धि. अष्टम परिच्छेद ॥८॥ २७ दैव पुरुष विषयक एकान्त निषेध. और अनेकान्त स्थापन. नवम परिच्छेद ॥९॥ २८ पुण्य पाप बंधविषयक एकान्त निराकरण अनेकान्त समर्थन. दशम परिच्छेद ॥ १०॥ २९ अज्ञानसे बंध और अल्पज्ञानसे मोक्ष ऐसे एकान्त विषयक मतका निषेध, और जिस अनेकान्त विधिसे बंधमोक्ष हो सकता है उसका विधान. ३० संसारकी उत्पत्तिका क्रम. ३१ प्रमाणका स्वरूप, संख्या, विषय, फल, इन चारोंका कथन १०१ ३२ स्यात् पदका स्वरूप, १०५ ३३ स्यात् पद और केवलज्ञानकी समानता. १०८ ३४ नयकी हेतुवादकताका स्वरूप ३५ प्रमाणविषयक अनेकान्तात्मवस्तुका स्वरूप तथा उसका दृढीकरण. ११० ३६ प्रमाण नयके वाक्यका स्वरूप. ११२ ३७ स्याद्वादकी स्थिति. ११५ ३८ ग्रंथवनानेका प्रयोजन ११७ ३९ पं. जयचंद्र जी दारा कियागया अन्तिम मंगल नमस्कार, प्रशस्ति. ११८ ४० भाषा वचनिकाका निर्माण समय ११८ इति ९२
SR No.022429
Book TitleAapt Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Chhavda
PublisherAnantkirti Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages144
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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