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________________ wwwwwwwwwww श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाली भुप-सा , श्री रत्नप्रभसूरीश्वर सद्गुरुभ्यो नमः - श्रीमद् देवचन्द्रजी कृत नयचक्रसार हिन्दी अनुवाद सहित. तुभ्यं नमस्त्रिभुवनार्तिहराय नाथ । तुभ्यं नमः क्षितितलामलभूषण तुभ्यं नमस्त्रिजगतः परमेश्वराय । तुभ्यं नमो जिन ! भवोदधिशोषणाय ।। ॥ मंगलाचरण ॥ प्रणम्य परमब्रह्म, शुद्धानन्दरसास्पदम् । वीरं सिद्धार्थ राजेन्द्र-नंदनं लोकनन्दनम् ॥१॥ नत्वा सुधर्मस्वाम्यादि, संघ सद्वाचकान्वयम् । स्वगुरुन् दीपचन्द्राख्य,-पाठकान् श्रुतपाठकान् ॥ २॥ नयचक्रस्य शब्दार्थ कथनं लोकभाषया । क्रियते बालबोधार्थ, सम्यग्मार्ग विशुद्धये ॥३॥ अर्थ-लोगों को आनन्द देनेवाले सिद्धार्थ राजा के पुत्र,
SR No.022425
Book TitleNaychakra Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghraj Munot
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1930
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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