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________________ ( ४४ ) ब्राह्मण माताद्वारा जन्म लेते हैं यह क्यों ? उनकेलिये ब्रह्माजी को अवश्य ऐसा प्रबंध करदेना था कि वे गुह्यस्थानद्वारा जन्म न लेते ! यदि मुखद्वारा जन्म धारण करते तो अवश्य हम मानते कि ब्राह्मणों की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से है परंतु यह बात तो है नहीं सभी वर्ण माता के उदर में से ही जन्म धारण करते हैं इससे यह स्पष्ट है कि चारो वर्णों की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुखादि स्थानों से मानना भ्रम है। 3. कई ऐसा भी कहते हैं कि ईश्वर पृथ्वी का भार उतारने के लिये अवतार लेकर असुर पापी जनों का संहार करता है और देवों की रक्षा करता है। हम पूछते हैं कि ईश्वर ने असुर-पापी जनों को उत्पन्नही किस लिये किया ! प्रथम उत्पन्न ही नहीं करता तो पृथ्वी के ऊपर भार होने का कोई कारणही नहीं था और अवतार धारणकर मृत्युलोक में आने का परिश्रम भी नहीं उठाना पड़ता । तथा मत्स्यकच्छ-वाराह-नृसिंह आदि तिर्यक् योनी में भी जन्म नहीं धारण करना पड़ता।आश्चर्य है कि आपका ईश्वर सुख को छोड़ स्वतः दुःख में आने का उपाय करता है अर्थात् पशुओं का भी रूपधारण करता है। दूसरी बात यह है कि देवताओं की रक्षा करना और असुर याने राक्षसों का संहार करना इससे आपके ईश्वर में राग द्वेष का होना सिद्ध होता है और रागद्वेषी को ईश्वर कहना सर्वथा अयुक्त है । क्योंकि राग-द्वेष ईश्वर के लिए दूषण है और ईश्वर को हमेशा निर्दूषण होना चाहिए । दूसरी बात यह है कि आपलोग तो यह मानते हैं कि ईश्वरीय विभूति विना संसार में कोई पदार्थही नहीं है इससे तो देव तथा दानव दोनों में भी ईश्वरीयविभूति होनीही चाहिए । तथा राक्षसों में ईश्वरीयविभूति यदि आप मानेंगे तो ईश्वर ने स्वतः अपनी विभूति का नाश (संहार) किया और यदि ऐसा नहीं मानेंगे तो "ईश्वरीयविभूति विना संसार में कोई पदार्थ नहीं है" यह कहना असत्य हुआ ! धन्य है ईश्वरवादी जी आपके तकों को। कोई यह भी कहते हैं कि ईश्वर ने पुतला रचकर स्त्री के उदर में रखदिया। परन्तु हमारी समझसे यह बात तो नितान्त असत्य है क्योंकि
SR No.022403
Book TitleJagatkartutva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Maharaj
PublisherMoolchand Vadilal Akola
Publication Year1909
Total Pages112
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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