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________________ ( २९ ) लोग मृत्यु के हाथ से छूट जाओगे, इसके सिवाय और कोई मार्ग नहीं है। धन्य है ईश्वरवादियों की तर्कों को! कोई २ ईश्वरवादियों ने ऐसा विचार किया कि यदि हम कहेंगे कि हमारे शास्त्र ईश्वर के रचे हुए हैं तो लोग इस बात को तोड़ देंगे कि "अदेह ईश्वर ने किस मुख से शास्त्र रचे ?" इस लिये यह कहना चाहिये कि ईश्वर ने ऋषियों के आत्मा में वेदों का प्रकाश किया। ईश्वरवादी यह खूब उत्तम पाठ पढ़े हैं ? ईश्वर ऋषियों के आत्मा में प्रकाश करे अर्थात् भूत प्रेत की तरह प्रकाश करे किंवा बोले यह ईश्वरवादियों के घर का ही न्याय है इस बात को पाठक ! सोचें । कितने लोग ब्रह्मा, विष्णु, और शिव को ईश्वरीय अवतार मानते हैं, और यह भी कहा करते हैं कि यही साक्षात् ईश्वर हैं क्योंकि ब्रह्मा जीवों की उत्पत्ति करता है, बिष्णु पालन-पोषण करता है और शिव संहार करता है इसलिये संसार त्रिगुणात्मक [त्रिगुण-मय] है । अब प्रथम तो इन देवताओं के वारे में इनके ही मत के परम विद्वान् महार्ष भर्तृहरि क्या फरमा रहे हैं उसे सुनिये:“शंभुवयंभुहरयो हरिणेक्षणानां, येनाक्रियन्त सततं गृहकर्मदासाः । वाचामगोचरचरित्रविचित्रिताय, तस्मै नमो भगवते! कुसुमायुधाय"॥१॥ भावार्थ-जिस कामदेव ने शंभु, विष्णु, ब्रह्मा को स्त्रियों का दास बना दिया है ऐसे अगोचर चरित्र वाले कामदेव को नमस्कार हों अर्थात् मैं (भर्तृहरि) नमस्कार करता हूँ। १ आग्निवायुरविभ्यस्तु त्रयं ब्रह्म सनातनम् । दुदोह यज्ञसिद्धयर्थमृग्यजु:सामलक्षणम् ॥ मनु० इस श्लोक का कितनेक यह अर्थ करते हैं कि परमात्मा ने सृष्टि के आदि में मनुष्यों को उत्पन्न करके अग्नि, वायु, सूर्य, अगिरा, इन चार ऋषियों के भात्मा में प्रकाश किया और उक्त ऋषियों के द्वारा वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराये । परन्तु यह अर्थ इस श्लोक में से नहीं निकलता। -
SR No.022403
Book TitleJagatkartutva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Maharaj
PublisherMoolchand Vadilal Akola
Publication Year1909
Total Pages112
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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