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________________ रायचन्द्रजैनशास्त्रमाला । श्रीपरमात्मने नमः | श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः । समयसारः । ००००० ( टीकात्रय सहितः ) श्रीमदमृतचन्द्रसूरिकृता आत्मख्यातिः । नमः समयसाराय स्वानुभूत्या चकासते । चित्स्वभावाय भावाय सर्वभावांतरच्छिदे ॥ १ ॥ श्रीजयसेनाचार्य कृततात्पर्यवृत्तिः । वीतरागं जिनं नत्वा ज्ञानानंदैकसंपदम् । वक्ष्ये समयसारस्य वृत्तिं तात्पर्यसंज्ञिकाम् ॥ १ ॥ अथ शुद्धपरमात्मतत्त्वप्रतिपादन मुख्यत्वेन विस्तररुचिशिष्यप्रतिबोधनार्थं श्रीकुंदकुंदाचार्यदेव पण्डित श्रीजयचंद्रकृत आत्मख्यातिवचनिका भाषाटीका । दोहा - श्रीपरमातमकूं प्रणमि, सारद सुगुरु मनाय । समयसार शासन करूं, देशवचनमय भाय ॥ १ ॥ शब्दब्रह्मपरब्रह्मकैं, वाचकवाच्य नियोग । मंगलरूप प्रसिद्ध है, नमों धर्म धन भोग ॥ २ ॥ नयनय लहइ सार शुभवार, पयपय दहइ मार दुखकार । लय लय गइ पार भवधार, जय जय समयसार अविकार ॥ ३ ॥ शब्द अर्थ अरु ज्ञान समयत्रय आगम गाये मतसिद्धांत रुकालभेदत्रय नाम बताये । इनहिं आदि शुभ अर्थसमयवचके सुनिये बहु अर्थ समयमें जीव नाम है सार सुनहु सहु
SR No.022398
Book Titlesamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddhar Karyalay
Publication Year1919
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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