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________________ अध्याय । ] सुबोधिनी टीका। - - प्रति हेतु बतलाया जाता है वह अन्वयकी अपेक्षा रखने वाले व्यञ्जककी अपेक्षासे हैं। कार्यका जतलाने वाला कोई भी साधन विना अन्वयके नहीं हो सक्ता। भावार्थ-शरीरादिक ज्ञानसुखको जतलाते हैं इसलिये वे ज्ञान सुखके प्रति व्यञ्जक हेतु हैं। परन्तु वे तभी जतलासक्ते हैं जब कि मूलमें आत्माका अन्वय ( सम्बन्ध ) हो । विना आत्माके वे शरीरादिक ज्ञान सुखको कहीं घट पटमें तो जतलावें ? इस लिये शरीरादिक आत्मामें ही ज्ञान सुखको जतला सक्ते हैं क्योंकि ज्ञान सुख आत्माके ही गुण हैं। जिस प्रकार दीपक पदार्थोंका व्यञ्जक है परन्तु वह पदार्थोंको तभी जतला सकता है जबकि पदार्थ मौजूद हों, विना पदार्थोके रहते हुए कोई भी दीपक पदार्थोको नहीं दिखा सक्ता। इसलिये कार्यको बसलाने वाला कोई भी व्यञ्जक साधन बिना मूलके कुछ नहीं कर सक्ता । दृष्टान्त• दृष्टान्तोऽगुरुगन्धस्य व्यञ्जकः पावको भवेत् । न स्यादिनाऽगुरुद्रव्यं गन्धस्तत्पावकस्य सः ॥ ३५९ ॥ अर्थ–दृष्टान्तके लिये अग्नि है-अग्नि अगुरु आदि सुगन्धित पदार्थों की व्यञ्जक (विदिल करानेवाली) है। परन्तु वह सुगन्धित गन्ध, विना अगुरु द्रन्यके अग्निकी नहीं से सक्ती । अगुरु द्रव्यके रहते हुए ही अग्नि उसकी सुगन्धिको विदित करा देती है। दान्तितथा देहन्द्रियं चार्थाः सन्त्यभिव्यञ्जकाः कचित् । ज्ञानस्य तथा सौख्यस्थ न स्वयं चित्सुखात्मकाः ॥ ३६०॥ अर्थ-इसी प्रकार ( आत्माके रहते हुए ही ) देह, इन्द्रिय और पदार्थ कहीं ज्ञान और सुखके व्यञ्जक ( विदित करानेवाले ) हैं । परन्तु देहादिक स्वयं ज्ञान, सुख स्वरूप नहीं हैं। ऐसा तो एक आत्मा ही है। उपादानके अभावमें व्यञ्जक कुछ नहीं करसक्ता. नाप्युपादानशून्येपि स्वादभिव्यञ्जकात्सुस्वम् । ज्ञानं वा तत्र सर्वत्र हेतुशून्यानुषगतः ॥ ३६१॥ अर्थ---उपादान शून्यतामें व्यञ्जक मात्रसे सुख अथवा ज्ञान नहीं होसक्ते । यदि पिना उपादानके भी सुख अथवा ज्ञान हो जायं तो सर्वत्र हेतुशून्यताका प्रसङ्ग होगा अर्थात् फिर हेतुके बिना भी कार्य होने लगेगा । बिना पदार्थके रहते हुए भी दीपक पदार्थका प्रकाश कर देगा । इसलिये उपादाम कारण-आत्माके रहते हुए ही ज्ञान, सुख हो सक्ते हैं ।
SR No.022393
Book TitlePanchadhyayi Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherGranthprakash Karyalay
Publication Year1918
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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