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________________ 136 • ‘द्रव्य-गुण-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायामां वर्शवेला पहार्थोनी याही • प्रमाणलक्षण (शैवसम्मत) देखिए लक्षण प्रशस्तलब्धि देखिए लब्धि (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) ( ३९ ) प्रमाण लक्षण प्रशांतत्व प्रमाणलक्षण (वेदांतिसम्मत) देखिए लक्षण प्रशांतवाहिता ( ३९ ) प्रमाण लक्षण प्रसज्य प्रतिषेध प्रसिद्ध शक्ति देखिए २४२२ २३७९ प्रमाणलक्षण (विशिष्टाद्वैतवादिसम्मत) देखिए लक्षण ( ३९ ) प्रमाण लक्षण प्रमाणलक्षण (शुद्धाद्वैतवादिसम्मत) देखिए लक्षण (३९) प्रमाण लक्षण प्रमाणलक्षण ( अवशिष्ट) देखिए प्राकृत भाषा लक्षण (३९) प्रमाण लक्षण प्रागभाव देखिए देखिए प्रमाणवाक्य देखिए प्रमाण सप्तभङ्गी प्रमाणसप्तभङ्गीलक्षण देखिए प्रस्थक लक्षण प्रस्थक सप्तभङ्गी प्रव्रज्या प्रव्रज्या अधिकारी वाक्य सप्तभङ्गी सप्तभङ्गी लक्षण प्रमाद देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) प्रमेयता देखिए गुण प्रकार ( २ ) सामान्य गुण प्रमेयत्व-अप्रमेयत्वादि अनेकांत देखिए अनेकांत प्रमेयभेद देखिए भेद (प्रकार) प्रयोगअनुपपत्ि देखिए दोष (दूषण) प्रयोग लब्धि देखिए लब्धि (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) प्रायोगिक नाश प्रयोजननिरपेक्ष लक्षणा देखिए लक्षणा (सामान्यतः प्रायोग्य लब्धि प्रयोजनवती लक्षणा देखिए लक्षणा ( सामान्यतः ) प्रीति अनुष्ठान प्रयोजनसापेक्ष लक्षणा देखिए लक्षणा (सामान्यतः ) प्रेरक कारण प्रयोज्य - प्रयोजकभाव संबंध प्रवचन ( एकार्थ) प्रवृत्तचक्र योगी ) देखिए संबंध प्रवृत्ति प्रवृत्ति प्रवृत्तिग्रह प्रवृत्तियम प्रवृत्ति व्यवहारनय २०० प्राणायाम प्रातिभ ज्ञान देखिए प्रतिषेध (नञ्) वृत्ति (वैयाकरणसम्मत ) देखिए योगी देखिए आशय देखिए गुण (अष्टक) देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) बला दृष्टि देखिए यम बहिरंग लक्षण देखिए नय ( नवविध ) बहिरात्मा व्यवहारनय (देवचन्द्रजी-अन्यविध) बहिर्मुखता (२) शक्ति लक्षण देखिए देखिए सप्तभङ्गी देखिए भाषा ज्ञान ( + उपयोग + बोध) लब्धि (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) प्रायोगिक उत्पत्ति देखिए उत्पत्ति (आगमिक मत ) प्रायोगिक उत्पाद उत्पाद (उत्पत्ति -समुत्पत्ति-तार्किकमत) देखिए नाश ( सम्मतिकारसम्मत ) देखिए देखिए देखिए प्राथमिक काललब्धि देखिए ५२,२४८४ | बहिर्मुखदशा २४४९-५० | बादर पर्याय देखिए अभाव (१) संसर्ग अभाव योग (अष्टांग) देखिए देखिए लब्धि अनुष्ठान देखिए कारण फलमुख गौरव अभाव देखिए दोष (दूषण ) फलावंचक देखिए योग ( योगदृष्टिसमुच्चय) फलोपधायक योग्यता देखिए योग्यता बंधज्ञान देखिए बंधदशा ज्ञान ( + उपयोग + बोध) देखिए दशा देखिए योगदृष्टि देखिए लक्षण देखिए आत्मा देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) देखिए दशा पर्याय ( शुभचन्द्र परिभाषा )
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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