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114 • 'द्रव्य-गु-पर्यायनो २।स' तथा 'द्रव्यानुयोग५२मश' व्यायाम विदा पार्थोनी याही . चारित्र पर्याय देखिए पर्याय (प्रकीर्णक) | जघन्य गीतार्थ देखिए गीतार्थ चारित्रभेद देखिए भेद (प्रकार) जघन्य परोपकार देखिए परोपकार चारित्रभ्रष्टता देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) जनमनोरंजन देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) चारित्र लक्षण देखिए लक्षण | जहत्स्वार्था शुद्धा लक्षणा देखिए वृत्ति चारित्रशब्दार्थ
___(वैयाकरणसम्मत) (१) लक्षणा चारित्रात्मा देखिए आत्मा | जहद्लक्षणा देखिए लक्षणा (सामान्यतः) चिंतामय ज्ञान देखिए ज्ञान (+ उपयोग + बोध) | जातिउत्तर सामान्य संग्रह देखिए नय (नवविध) चित्रज्ञान (चित्रसंविद्) देखिए ज्ञान
संग्रहनय (देवचन्द्रजी) (A) सामान्यसंग्रहनय (+ उपयोग + बोध)
(२) उत्तरसामान्यसंग्रहनय चित्त
| जातिसापेक्ष एकत्व देखिए एकत्व (१) एकाग्र चित्त २४११, २४२१ | जात्यंतर
३९६-३९८,१६३९, (२) क्षिप्त चित्त २४००
१७८५-१७८६ (३) चल चित्त
२४०६ | जिज्ञासा देखिए गुण (अष्टक) (४) निरुद्ध चित्त
२४७१ जिनशासन प्रभावना देखिए प्रभावना (५) मूढ चित्त
२४०० जीवदया
देखिए दया (६) यातायात चित्त
२४०७ | जीवपरिणाम देखिए परिणाम (७) विक्षिप्त चित्त
२४०६ | जीवपरिणामभेद देखिए भेद (प्रकार) (८) शुक्ल चित्त (अंतःकरण) २५८० | जीवपर्याय देखिए पर्याय (भगवतीसूत्र) (९) श्लिष्ट चित्त
२४११ जीव प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना (१०) सानंद चित्त
२४०६, २४११ | जीवभेद देखिए भेद (प्रकार) (११) सुलीन चित्त
२४६९ / जीवाजीव प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना चित्सुखाचार्यमत समीक्षा देखिए समीक्षा |जीवास्तिकाय देखिए द्रव्य (षटक) चूलिका पैशाची भाषा देखिए भाषा | जुगुप्सा देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) चेतनता देखिए गुण प्रकार (२) सामान्य गुण | ज्ञपरिज्ञा
देखिए परिज्ञा चेतन स्वभाव देखिए स्वभाव (१) विशेष स्वभाव ज्ञान (+ देखिए उपयोग+बोध) चेतना (चैतन्य) (श्वेताम्बरसम्मत)
(१) अवधिज्ञान ८२५,१६०९,१९४५, (१) अनुभवन चेतना
१६३७
२१३८,२२१४,२२१६,२२२४-२७ (२) संविज्ञान चेतना
१६३७ (I) लोकावधि ज्ञान
१६०९ चैतन्य देखिए उपयोग (+ गुण प्रकार) (२) असंमोह ज्ञान
२४५७ (१) विशेष गुण (३) आक्षेपक ज्ञान
२४४३ चैतन्यसाधक प्रमाण देखिए प्रमाण (साधक)
(४) आत्मपरिणतिमत् ज्ञान २४५८,२५४४ छिद्रमति देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी)
(५) आत्माज्ञान (साक्षात्कार)