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________________ (१७) आर्या । पासेण पंजरेण य बझंति चउप्पया य पक्खीई । इय जुवइपंजरेणय बद्धा पुरिसा किलिस्संति॥५२॥ . तोटक। दुखपिंजरमाहिं विहंग सहै। पशु पाशविर्षे जिमि त्रास लहै । नरहू तियके तिमि जार परैं। निह● करिके दुख भार भरै ॥ ५२॥ ___ अनुष्टुप् । अहो मोहो महामल्लो जेण अम्मारिसा वि हु। जाणंतावि अणिच्चत्तं विरमंतिण खणं ति हु॥५३॥ __सोरठा। जानें अथिर तमाम, तोहू हम जैसे पुरुष । पावैं नहिं विसराम, अहो मोह है वीर वर ॥५३॥ आर्या । जुवईहिं सह कुणंतो संसग्गं कुणइ सयलदुक्खेहिं । ण हिमुसगाणं संगो होइ सुहोसह बिलाडेहिं॥५४॥ तोटक। वश मूसक माँजरिके परिके। दुख पावत है निहचै करिके ॥ १ जालमें। २ बिल्ली।
SR No.022372
Book TitleIndriya Parajay Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhulal Shravak
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1912
Total Pages38
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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