SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [९] वारिकारस, श्त्तो पंचाएगणा ॥१४॥ संतस्स पयडिगणा-णि ताणि मोहस्स हुँति पन्नरस॥ बंधोदयसंते पुण, जंगविगप्पे (प्पा) बहू जाण ॥१५॥ उ ब्बावीसे चल ग-वीसे सत्तरस तेरसे दो दो॥नवबंधगे विएिणन शकिकमयो परं नंगा ॥१६॥ दस बावी से नव ग-वीसे सत्ताइ उदयकम्मंसा ॥ बाई नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अठेव ॥ १७ ॥ चत्तारिआइ नवबंघएसु, उक्कोस सत्तमुदयंसा ॥ पंचविदबंधगे पुण, उ. दयो पुएहं मुणेअव्वो ॥१७॥ इत्तो चउबंधार, शक्किक्कुदया हवंति सव्वे वि बंधोवरमे वि तहा, उदयाभावे वि वा हुजा ॥१ए॥ श्क्कगबक्किक्कारस, दस सत्त चउक्क श्क्कगं चेव।। एए चळवीसगया, बार पुगिक्कम्मि श्क्कारा॥ (तथा मतांतरे, चउवीस गिक्क मिक्कारा) ॥२०॥ नवतेसीश्सएहिं, उदयविगप्पेहि मो. हिआ जीवा ॥ अउणुत्तरिसीआला, पयविंदस १ गणाई. पाठा० ॥ २ तेरसि पादां०
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy