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________________ प्रस्तावना सानुवादें मंगलपाठ पाठकोंकी सेवामें प्रस्तुत है और इसे प्रस्तुत • करते हुए मुझे बड़ा ही आनन्द होता है। : इस मङ्गलपाठमें अनेक सत्साधुओंके पुण्य स्मरणोंकी संयोजना की गई है। श्रीवीर जिनेन्द्र और उनके उत्तरवर्ती गणधरादि २१ महान् प्रभावशाली आचार्योंके महत्वपूर्ण स्मरणोंका यह संग्रह है, जिनके स्मरणकर्ता अनेक आचार्य, भट्टारक, विद्वान्, कविजन अथवा शिलालेखों के लिखानेवाले महानुभाव हुए हैं। स्मरणकर्ता आचार्योंमें कितने ही आचार्य तो इत्तने महान हैं कि वे खुद भी अनेक आचार्यों तथा विद्वानों आदिके द्वारा स्मरण किये गये हैं; जैसे स्वामी समन्तभद्र, अकलङ्क, विद्यानन्द, वीरसेन, और जिनसेनादिक । इन स्मरणोंकी संख्या सव मिलाकर १३६ है। जिन महान् आत्माओंके ये स्मरण हैं उन्हें यथासाध्य कालक्रमसे रक्खा गया है; परन्तु स्मरणकर्ताओंमें कालक्रमके नियमको चरितार्थ नहीं किया गया, उनके स्मरणोंका संकलन विषयादिककी कुछ दूसरी ही दृष्टिको लिये हुए है । जहाँसे जो स्मरण लिये गये हैं उन प्रन्थादिकोंके नाम मूल स्मरणोंके नीचे दे दिये गये हैं। साथ ही, शिलालेखोंको छोड़कर, अन्य सब स्मरणकर्ताओंके शुभनाम भी साथमें दे दिये गये हैं, जिससे स्मृत व्यक्तियों और स्मरणकर्ताओंका एक साथ बोध हो सके। ___ आचार्यों में सबसे अधिक संस्मरण स्वामी समन्तभद्रके हैं और वे इस पुस्तकके २७ पृष्ठोंपर आये हैं; जबकि अकलङ्कादिक । दूसरे महान् आचार्योंके स्मरण ५, ४, ३, २ श्रादि पृष्ठोंपर ही आसके हैं । समन्तभद्रके गुणों, उपकारों और उनकी मौलिक कृतियोंका कुछ ऐसा प्रभाव सर्वत्र व्याप्त हुआ है कि श्रीअकलङ्क- ।
SR No.022364
Book TitleSatsadhu Smaran Mangal Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year94
Total Pages94
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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