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________________ 198 8 . इरियावहि तस्सउत्तरी 199 शक्रस्तव 297 . 9 33 अरिहंत चे. अन्नत्य 229 लोगस्स 260 28 28 पुक्खरवरदी 216 16 34 16 सिध्धाणं वैयावचगराणं जावंति चे.. 35 - 3 जावंत के. 38 - 1 जयवीयराय 79 . 8 ० पद अर्थात् लाईन अथवा श्लोक का चोथा भाग इसे पद कहते है । ० संपदा अर्थात् सूत्र बोलते समय बीच बीच में थोडासा रूकने का विश्राम स्थान, अत ओक ही सांस में सूत्र पूरा न करना । किस सूत्र में संपदा कहाँ तक आती है इसका विचार (1) नवकार मंत्र में - नमो अरिहंताणं से सव्वपावप्पणासणो तक 7 संपदा मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवई मंगलम् 1 संपदा (2) इरियावहि तस्सउत्तरी में . इच्छामि पडि. - पहली संपदा, जेमे जीवा विराहिया पांचमी गमणागमणे · दूसरी संपदा, अगिंदिया - छठी संपदा पाणक्कमणे - तीसरी संपदा, ओसा उत्तिंग · चोथी संपदा, अभिहया तस्स मिच्छामि दुक्कडम् सातवी संपदा । तस्स उत्तरी...ठामि काउ. - आठवी संपदा । ( 73 प दार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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