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________________ 66. 71. 71. 71. 7 75 75. 75 76. 77. 78. दशत्रिक का स्वरूप 79. पांच अभिगम 80. प्रभु दर्शन की दिशा 81. परमात्मा का अवग्रह तीन प्रकार की वंदना 83. दंडक सूत्र के पद/ संपदा तथा संपदा के आद्यपद 84. बारह अधिकार ___ चार वंदनीय ओक स्मरणीय चार प्रकार के जिन चार स्तुति का अधिकार 88. काउसग्ग के उपयोगी साधन - काउसग्ग के आगार 90. काउसग्ग के दोष 91. स्तवन की पहचान चैत्यवंदन का वख्त 93. मंदिर की आशातना 94. वंदन के प्रकार 95. अवंदनीय कीपहचान 96. पांच वंदनीय 97. अग्राह्य वंदन के मालिक 98. वंदन का अनवसर 99. वंदन का मौका .100. वंदन के कारण 101. पच्चीश आवश्यक 102. मुहपत्ति की सचित्र प्रतिलेखना 103. वंदन के बत्तीश दोष 104. वंदन से फायदा 79. . 80. 81. 81. 88 पदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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