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________________ 34. 24. चारित्र के भेद 25. निर्जरा तत्व 26. बन्ध तत्व (4 प्रकार का बंध) 27. कर्म की पहचान 28. कर्म की स्थिति 29. कर्म बन्ध के हेतु 30. सिद्ध के भेद 31. गति - अगति द्वार 32. चोवीश दंडक के नाम 33. पांच प्रकार के शरीर व 6 संघयण 27,28 सोलह संज्ञा व कर्म का निमित्त 29. 35. छ प्रकार के संस्थान 30. 36. चार कषाय व छ लेश्या 30, 31. इन्द्रिय भेद व सात प्रकार के समुद्घात 38. तीन तरह की दृष्टि 39. चार दर्शन व पांच ज्ञान तीन अज्ञान व पन्द्रह योग सात प्रकार के काययोग 42. बारह प्रकार के उपयोग 43. उपपात/च्यवन किमाहार व तीन प्रकार की संज्ञा 38. 45. गति/आगति/वेद व अल्पबहत्व 46. चोवीश दंडक में शरीर का विभागी करण 47. सूक्ष्मादि जीवों का प्रमाण 40. 48: . शरीर की अवगाहना 41. 49. चोवीश दंडक में संघयण व संस्थान का विभागी करण 42 50. चोवीश दंडक में लेश्या / समुद्घात | दृष्टि | दर्शन | योग / उपयोग 31. 39. 43. पदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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