SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आभाग दर्शन.) ' ' ... 2050 वर्ष के अन्तर्गत सांचोर में चातुर्मास था उस समय श्राद्धवर्य संधवी समरथमल मिश्रीमबजी की जिज्ञासा से चार प्रकरण, तीन भाष्य एवं संक्षिप्त कार्मग्रन्थ आदि का हिन्दी लीपी में संक्षिप्त पदार्थों का प्रकाशन किया जाय एसी तमन्ना हुई, समरथमलजी की जिज्ञासा परिपूर्ण होवे एवं ज्यादा से ज्यादा श्रावक श्राविका वर्ग को ज्ञान प्राप्त होवे ऐसी तमन्ना रखी, आज इच्छा पूर्ण होने जा रही है। पुस्तक प्रकाशन में आचार्य देव श्री रत्नशेखर सूरीजी म. सा. के शुभ आशीर्वाद एवं समय समय पर कलिकुंड तीर्थोद्धारक आचार्य देव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी की प्रेरणा होती रही है । सरल स्वभावी मुनि श्री रत्नत्रय विजयजी आदि का सम्पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ | . मुनि रत्नज्योत RELHDपदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy