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________________ (२८) ~ ~ ~ ~ ~ ~ विषयानुक्रमणिका। م م م س » م م विषय। पृष्ठ। श्लोक। प्रथम अध्याय । टीकाकारका मंगलाचरण १ १-२ मूल ग्रंथका मंगलाचरण और प्रतिज्ञा सागार व गृहस्थका लक्षण दूसरी तरहसे सागारका लक्षण सम्यक्त्व ही सागार होनेका कारण है और मिथ्यात्वसे सागारपना नहीं हो सकता मिथ्यात्वके उदाहरण सहित तीन भेद सम्यग्दर्शनकी कारणसामग्री सम्यक्त्वकी कारणसामग्रीमें सद्गुरुके उपदेशकी आवश्यकता और इससमय उनकी दुर्लभतापर खेद ११ ७ योग्य श्रोताओंके अभावमें भद्र पुरुष ही उपदेश सुननेयोग्य हों ऐसी आशा १३ ८ भद्र अभद्रका लक्षण और उन्हें उपदेश देने न देनेकी विधि१३ ९ सुश्रूषा आदि गुणसहित सम्यक्त्वहीन पुरुषको भी सम्यक्त्वीके समान माननेका उदाहरण सहित उपदेश १५ १० सागारधर्मको पालन करनेवाले गृहस्थका लक्षण पूर्ण सागारधर्म ३२ १२ असंयमी सम्यग्दृष्टी जीवोंको भी अशुभ
SR No.022362
Book TitleSagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Lalaram Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1915
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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