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________________ (३) गर्भसे अपने अतिशय गुणवान् पुत्र छाहड़को उत्पन्न किया'" छाहड़ सरीखे गुणवान् पुत्रको पानेका एक प्रकारसे उन्हें अभिमान था। जान पड़ता है, उनके छाहड़के अतिरिक्त और कोई पुत्र नहीं था । यदि होता, तो वे अपने ग्रन्थोंकी प्रशस्तिमें छाहड़के समान उसका भी उल्लेख करते । अनगारधर्मामृतकी भव्यकुमुदचन्द्रिका टीका वि० सं० १३०० की बनी हुई है, जब कि उनकी आयु कमसे कम ६५ वर्षकी होगी, जैसा कि हम आगे सिद्ध करेंगे। इस अवस्थाके पश्चात् पुत्र उत्पन्न होनेकी संभावना बहुत कम होती है । आशाधरने अपने ग्रन्थोंकी प्रशस्तियोंमें अपना बहुत कुछ परिचय दिया है । परन्तु किसीमें अपने जन्मका समय नहीं बतलाया है । तो भी उन्होंने अपने विषयमें जो बातें कहीं हैं, उनसे अनुमान होता है कि विक्रम संवत् १२३५ के | लगभग उनका जन्म हुआ होगा । जिस समय गजनीके बादशाह शहाबुद्दीनगोरीने सारे १- सरस्वत्यामिवात्मानं सरस्वत्यामजीजनत् । कः पुत्रं छाहडं गुण्यं रांजतार्जुनभूपतिम् ॥ २ ॥ २-म्लेच्छेशेन सपादलक्षविषये व्याप्ते सुवृत्तक्षतित्रासाद्विन्ध्यनरेन्द्रदोःपरिमलस्फूर्जत्रिवर्गोजसि । प्राप्तो मालवमंडले बहुपरीवारः पुरीमावसत् यो धारामपठज्जिनप्रमितिवाक्शास्त्रं महावीरतः ॥ ५ ॥ प्रशास्तिकी टीकामें 'म्लेच्छेशेन'का अर्थ"साहबदीनतुरुष्कन" लिखा है ।।
SR No.022362
Book TitleSagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Lalaram Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1915
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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