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________________ पंडितप्रकर आशाधरका परिचय। - - " आशाधरो विजयतां कलिकालिदासः" इस ऋषितुल्य विद्वान्का नाम आशाधर था। आशाधरके पिताका नाम सल्लक्षण ( सलखण) और माताका नाम श्रीरत्नी था। जैनियोंकी ८४ जातियोंमें बघेरवाल नामकी एक जाति है। हमारे चरित्रनायकने इसी बघेरवाल जातिका मुख उज्ज्वल किया था। सपादलक्ष देशमें मंडलकर नामका एक नगर है। पंडित आशाधरका जन्म उसी मंडलकर नगरमें हुआ था। सपादलक्ष देशको भाषामें सवालख कहते हैं । नागौरके नि. कटका प्रदेश सवालखके नामसे प्रसिद्ध है । इस देशमें पहले चाहमान (चौहान) राजाओंका राज्य था। फिर सांभर और अजमेरके चौहान राजाओंका सारा देश सपादलक्ष कहलाने लगा था और उसके सम्बन्धसे चौहान राजाओंके लिये "सपादलक्षीय नृपतिभूपति" आदि शब्द लिखे जाने लगे थे। १–श्रीमानास्ति सपादलक्षविषयः शाकंभरीभूषण स्तन श्रीरातिधाममण्डलकरं नामास्ति दुर्ग महत् । श्रीरल्यामुदपादि तत्र विमलव्यारवालान्वयात् श्रीसल्लक्षणतो जिनेन्द्रसमयश्रद्धालुराशाधारः ॥१ २-प्राचीन कालमें 'कमाऊके' आसपासके देशको भी सपादलक्ष कहतेथे। -
SR No.022362
Book TitleSagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Lalaram Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1915
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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