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________________ प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन 47. प्रशमरति प्रकरण, 11 का० 207, पृ० 145 48. पुद्गल कर्म शुभयत्तत्पुण्यामिति। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 219, पृ० 154 49. द्विचत्वारिंश .............पुण्याभिधानाः। वही, पृ० 154 50. पदशुभमथ तत्पापभिति भवति सर्वज्ञ निर्दिष्टम्। वही, पृ०. 154 51. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 219 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 154. 52. आस्त्रव काय वाग्मनांसि । वही, का० 248 की टीका, पृ० 172 53. योगः शुद्ध पुण्यास्त्रव ........... पापस्यास्त्रव इति। वही, 14, का० 220, की . हरिभद्रीय टीका, पृ० 154 54. मिथ्यादर्शनादयः...... भैदैनोपादानाम्। प्रशमरति प्रकरण, 8, का० 157 एवं उनकी हरिभद्रीय टीका, पृ० 108 55. प्रशमरति प्रकरण, 2, का० 33, पृ० 25 56. वही, 14, का, 220, पृ० 154 57. वही, 8, का, 158, पृ० 109 58. संवृत तप उपथानं तु निर्जरा। वही, 14, का० 221, पृ० 155 9. प्रशमरति प्रकरण, 8, का० 159 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 109 20. वही, 5, का० 59 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 42 61. वही, 9, का० 175, पृ० 120 62. वही, 1, का० 176, पृ0 121 63. सकषायत्वाज्जीवः कर्मणो ........... स बन बन्थः। प्रशमरति प्रकरण, 5, का० 54 की टीका, पृ० 39 4. वही, 4, का० 36 पृ० 28 6. वही, 2 का० 31 और उनकी टीका, पृ० 24-25 क. प्रशमरति प्रकरण, 21, का० 221 , हरभद्रीय टीका, पृ० 155 67. वही, 21, का0 291-293 पृ० 201-202 ७. वही, 21, का० 295, पृ० 204 ®. वही, 21, का० 294, पृ० 208 70. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 210 पृ० 147
SR No.022360
Book TitlePrashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManjubala
PublisherPrakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan
Publication Year1997
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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