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________________ पद्मादिदिव्यहृदवारिविभूतीभोत्री श्रीपूर्वदिव्ययुवतीर्विधिपूर्वमेताः ॥ ४२ ॥ अब्रूगंध ...... ओं ह्रीं श्रीप्रभृतिदेवताभ्यः इदं .. .................. ********....... ........ गंगादिदिव्यसरिदंबुविभृतिभोत्री गंगादिदैवतवधूर्विधिपूर्वमेताः । ॥ ४३ ॥ अब् .. ओं ह्रीं गंगादिदेवीभ्यः इदं ......... .... ****........ I 1 सीत्तातदुत्तरसरित्प्रणयि हृदांभो भोक्षन्महाहदसुरान् विधिपूर्वमेतान् । ॥ ४४ ॥ अंब्... ओं ह्रीं सीताविद्धमहाहृददेवेभ्यः इदं ......... ............ I सीतातदुत्तरसरित्प्रणयि हृदांभो भोक्षन्महाहदसुरान् विधिपूर्वमेतान् । .................. ॥ ४५ ॥ अबू....... "ओं ह्रीं श्रीप्रभृति " इत्यादिसे पहले पत्रके ऊपर जलादि अष्टद्रव्य चढावे ॥ ४२ ॥ " गंगादि ” इत्यादि श्लोक पढकर "ओं ह्रीं गंगादि " इत्यादिसे जलादि अष्ट द्रव्य दूसरे पत्रपर चढावे ॥ ४३ ॥ “ सीता " इत्यादि श्लोक पढकर " ओं ह्रीं सीताविद्ध " इत्यादिसे तीसरे पत्रपर जलादि अष्टद्रव्य चढावे ॥ ४४ ॥ " सीता तदुत्तर " इत्यादि श्लोक पढकर 500005 20
SR No.022357
Book TitlePratishtha Saroddhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Manharlal Pandit
PublisherJain Granth Uddharak Karyalay
Publication Year1918
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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