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________________ (२०) 3. एम बन्ने मळो १५००००० नरकावासा . ते सर्व नरकावासामा केटलाएक संख्याता तथा केटलाएक असंख्याता जोजना लांबा पदोळां . तेमा नारकीना जीवो रहे . __ चोथीपंकरना नरकपृथ्वी-एक लाख वीस हजार जोजननी जामी, असंख्याता जोजननी विस्तारवाळी अने विस्तारथी त्रण गणी कारी परिधिएकरीने सहीत कालरनां श्राकारे . परिधिनां फरतां वली याकारेसातजोजनसुधीघनोदधि, पांचजोजनने एक गाउघनवात, अनेएकजोजननेत्रणगान सुधीतनवात . ने तेपलीश्रलोकयावे. ते नरकपृथ्वीनी नीचे वी शहजारजोजनघनोदधिनो पीले, तेनीनीचेघनवात, तनवातअनेथाकाशनापी अनुक्रमे नीचेनीचे एक बीजाथी असंख्यातअसंख्यातजोजनना पूर्वोत्तरीते रहेखांडे, अने तेनीनीचे पांचमीनरकपृथ्वी .हवे ते पंक प्रना नरकपृथ्वी जे एक लाख वीश हजार जोजननी जामी कही . तेमाथी उपर तथा नीचेथी एकेक हजार जोजन काढीए त्यारे बाकीनी एक लाख थ.
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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