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________________ (१७) हजार जोजन जामी, असंख्याता हजार जोजन वि. स्तारवाळी अने विस्तारथी त्रण गणी कामेरी परिधिए करीने सहित साखरना थाकारे ले. परिधिना फरता वळीयाकारे उ जोजन एक गाज उपरांत गाउना त्रीजानागसुधी घनोदधि, चार जोजन त्रण गान सुधी घनवात अने एकजोजन बे गाउ उपरांत गाउनात्रीजानागसुधी तनवात . ने ते पळी अलोक ले. ते नरकपृथ्वी नीचे वीसहजारजोजन घनोदधिनो पींग डे. तेनी नीचे घनवात, तनवात अने आकाशना पीक अनुक्रमें नीचे नीचे एक बीजाथी असंख्यात असंख्यात जोजन पूर्वोक्त रीते रहेला जे. तेनी नीचे त्रीजी नारकी . हवे ते शर्कश प्रना नरकपृथ्वी एक लाख बत्रीश हजार जोजननी जेजामी कही ले तेमांथी उपर तथा नीचेथी एक एक हजार जोजन काढीएत्यारे बाकीनी एक लाख त्रीश हजार जोजन पृथ्वी रही तेने विषे श्रगीयार प्रतर बे. ते नीचे मुजब ३-१ स्तनिक १ स्तनक ३मणक४ चणक ५. घट्ट ६ संघट्ट ७ जीप्न अवजीप्न ए लोल १०
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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