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________________ (१६७) व्यंतर अने ज्योतिषी ए त्रण निकायना नीकळ्या जीवो कर्मानुसारे वासुदेव अने तिर्थकरनी पदवी विना बाकीनो एकबीस पदवी पामे. पृथ्वीकाय, अपकाय, बनस्पतिकाय तथा गर्नज मनुष्यअने गर्नजतिर्यचना नीकळ्या जीवों कौनसारे तिर्थकर, चक्रवति, बळदेव धने वासदेवनी पदवीविना बाकीनी उगणीस पदवी पामे. बे इंज्यि, ते इंडिय अने चौरिप्रिय तथा समुर्छिम तियेच पंचेंजिने समुर्बिम मनुष्यमाथी नोकळ्याजीवो कर्मानु सारे तिर्थकरनी, चक्रवर्तिनी,ब. ळदेवनी, वासुदेवनी अने केवळीनो पदवी विना बाकीनी अढार पदवी पामे, तेउकाय अने वाउकाय. नानीकळ्याजीवो कर्मानुसारे सात एकेडियनी तथा हस्ति रत्ननी अने अश्वरत्ननी एम नव पदवी पामे. पंदरपरमांधामीने पहेला किन्धीषियाना नीकळ्या जीवो कर्मानुसारे निर्थकर, चक्रवति, वासुदेव, बळदेव अने केवळी विना बाकीनी अढार पदवी पामे. उयरना बे किल्वीषियाना नोकळ्या जीवो कर्मानुसारे उपर कहेली अढार पदवीमाथी सात एकेंजिय रत्ननी
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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