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(१५६) एकसोने एक समुर्छिम मनुष्यो अने अमताळीस नेद तिर्यंचना गणतां त्रणसेंने पंचाएं जीवनेद थया तेमां असंझी तियेच पचेंजियनी गति जाणवी, एवं त्रेवीस दंगकनी गति कही. . मनुष्यना दमके गति कहे जे. प्रथम समुर्छिम मनुष्य थायुदये, समुर्छिम मनुष्यमांथी नोकळ्या, पंदर कर्म जुमीज मनुष्यपर्याप्ता, पंदरकर्मजुमिज अपर्याप्या, एकसोने एक समुर्छिम मनुष्य अने अ. मताळीस नेदना तियेच एवं एकसोने उंगणा एंसी जीवनेदमां जाय जे पंदर कर्म जुमिना गर्नज मनुष्यो मांथी जीवो नोकळीने पांचसेंने त्रेसठ जोवन्नेदमां जाय . त्रीस अकर्म नुमिना मनुष्यमांथी नीकळया जीवो, दशजुवनपति, सोलव्यंतर, पंदर परमाधामी, दशतिर्यग् बनक, दश ज्योतिषी, एक किल्वीषिया अने सौधर्म तथा शान ए वे देवलोक मळी चोसठ जोवनेदमां जाय . बप्पन्न अंतर छीपनामनुष्यमांथी नीकळ्या जीवो, दश जुवनपति, सोलव्यंतर, पंदर परमाधामी अने दश तिर्यग् अंनक एम एकावन